ईरान फैला रहा है UK में इस्लामिक कट्टरता! यूके की पॉलिसी एक्सचेंज की रिपोर्ट में खुलासा
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ईरान फैला रहा है UK में इस्लामिक कट्टरता! यूके की पॉलिसी एक्सचेंज की रिपोर्ट में खुलासा

थिंक टैंक की रिपोर्ट ने उन घटनाओं का भी उल्लेख किया है, जिनमें ब्रिटिश मुस्लिम समुदाय पर ईरानी राज्य के बढ़ते प्रभाव को देखा जा सकता है।

by सोनाली मिश्रा
Apr 16, 2024, 10:32 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
Iran spreading islamic radicalisation in UK

प्रतीकात्मक तस्वीर

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क्या ईरान ब्रिटेन में इस्लामिक कट्टरता में वृद्धि कर रहा है? यह प्रश्न ब्रिटेन की एक संस्था की रिपोर्ट के आधार पर उत्पन्न हुआ है। दरअसल पिछले कुछ समय में ब्रिटेन में इस्लामिक कट्टरता की कई घटनाएं देखी गई हैं, जिनमें इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद की कथित बेअदबी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को प्रोत्साहित किया जाना और द लेडी ऑफ द हेवेन फिल्म का विरोध किया जाना जैसी घटनाएं प्रमुख हैं। रिपोर्ट में ईरान पर यह आरोप लगाया गया है कि वह यूके में स्कूलों के बाहर और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करवाने में सहायक है।

एक नई रिपोर्ट में बेअदबी की घटनाओं की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शनों की घटनाओं पर बात की गई है और ऐसा माना गया है कि ब्रिटिश मुसलमानों पर इस्लामिक शासन का प्रभाव पड़ रहा है। पॉलिसी एक्सचेंज ने यह रिपोर्ट बनाई है। इसमें इस्लामिक रिपब्लिक को ब्रिटेन के लिए दुश्मनी से भरा हुआ बताया है। इसमें बताया गया है कि यूके सरकार जहां एक ओर साइबर सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है तो वहीं इस क्षेत्र मे ईरान उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। ईरान कैसे स्कॉटिश अलगाववाद की भावना को बढ़ावा देने के लिए झूठी वेबसाइट्स का सहारा ले रहा है, इसमें यह भी बताया गया है।

इस थिंक टैंक की रिपोर्ट ने उन घटनाओं का भी उल्लेख किया है, जिनमें ब्रिटिश मुस्लिम समुदाय पर ईरानी राज्य के बढ़ते प्रभाव को देखा जा सकता है। स्कूलों की दो घटनाओं का उल्लेख है, जिनमें बेअदबी को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। ये घटनाएं थीं वर्ष 2021 में बेटले ग्रामर स्कूल में हुए विरोध प्रदर्शन, जिनके कारण एक स्कूल टीचर को इसलिए छिपना पड़ा था क्योंकि उन्होंने मोहम्मद के एक कार्टून को अपने विद्यार्थियों को दिखाया था। और दूसरी घटना जिसमें वेकफील्ड में एक स्कूल में चार विद्यार्थियों को इसलिए स्कूल से निलंबित कर दिया गया था, जिसमें उनमें से एक ने कुरान की अपनी प्रति को कथित रूप से फाड़ दिया था।

इसे भी पढ़ें: Britain: मुस्लिम लड़की ने की स्कूल में नमाज की मांग, कोर्ट बोला-‘स्कूल के नियम से ऊपर धार्मिक स्वतंत्रता नहीं’

इसके साथ ही इसमें उस फिल्म को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का भी उल्लेख है, जो इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद की बेटी फातिमा पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म का विरोध मुस्लिम देशों ने किया था और ब्रिटेन मे भी इस फिल्म का विरोध हुआ था। इस रिपोर्ट के अनुसार इन घटनाओं के विरोध ने यह संकेत दिया था कि सड़कों पर ऐसे विरोध प्रदर्शन करने से कथित बेअदबी के कोड्स को लागू करवाया जा सकता है।

इस रिपोर्ट में इस्लामिक सेंटर ऑफ इंग्लैंड के विषय में यह दावा किया गया है कि इसका संचालन ईरान के सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है और जो यूके में ईरान की उपस्थिति का मुख्य केंद्र है। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि आईसीएल यह केंद्र केवल एक मजहबी केंद्र नहीं है बल्कि यह यूके में ईरान के प्रभाव को दिखाता है।

क्या कहती है पॉलिसी एक्सचेंज की रिपोर्ट

पॉलिसी एक्सचेंज द्वारा एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ईरान यूके की सुरक्षा और मूल्यों को भी खतरा पहुंचा रहा है। दरअसल वह ऐसे कट्टर और राज्य द्वारा प्रायोजित मौलाना पश्चिमी लंदन में भेज रहा है, जो यूके की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं।

पॉलिसी एक्सचेंज द्वारा आयोजित किये गए अध्ययन से यह पता चलता है कि ईरान ने ब्रिटेन में राजनीतिक-धार्मिक संरचना की स्थापना के लिए कई दशकों तक मेहनत की है और यह धार्मिक संरचना है इस्लामिक सेंटर ऑफ इंग्लैंड जो यूके में एक पंजीकृत चैरिटी है। इसका कहना है कि ईरान इस केंद्र का प्रयोग उस आधार के रूप में करता है जो हमारे मूल्यों का क्षरण करता है और बेअदबी के कानूनों को लागू करता है।

तेहरान कॉलिंग के नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट मे विस्तार से इस्लामी कट्टरता के पसरते पैरों को लिखा है, जो यूके को अपने शिकंजे मे कस रहे हैं। इसमे आरंभ मे ही वर्ष 1989 के सलमान रश्दी पर जारी फतवे का उल्लेख है और वर्ष 2022 मे लेडी ऑफ द हेवेन मूवी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख है। इसके साथ ही इसमें उन ईरानी नागरिकों एवं पत्रकारों को दी जा रही धमकियों का भी उल्लेख है, जो ईरानी शासन से असन्तुष्ट हैं और उनकी आलोचना करते हैं और यूके में रहते हैं।

फिलिस्तीन के पक्ष में जो भी प्रदर्शन यूके में हुए थे, उनमें ईरान का भी झण्डा मौजूद था। इसके साथ ही इस रिपोर्ट मे यह कहा गया है कि ईरान दरअसल ब्रिटेन के मूल्यों पर नियंत्रण करके ब्रिटेन के नागरिकों को बंधक बनाना चाहता है। वह अपनी तहजीब का वर्चस्व चाहता है। फिलिस्तीन के पक्ष मे जो भी प्रदर्शन हुए थे, उनमें ईरान एवं ईरान समर्थित संस्थाओं का बहुत बड़ा योगदान था। यह रिपोर्ट लंदन में मौजूद कई ईरानी समर्थक कार्यकर्ताओं एवं समूहों का भी उल्लेख करती है, जो इस्लामिक देश ईरान का समर्थन करते हुए लंदन की सड़कों पर दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक समूह है अल हशद अल शबाबी मिलिटियाज (पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फोर्स पीएमएफ)।

पॉलिसी एक्सचेंज की इस रिपोर्ट मे यह अनुशंसा की गई है कि इस्लामिक सेंटर ऑफ इंग्लैंड में काम करने के लिए किसी भी ईरानी नागरिक को वीजा नहीं जारी किया जाना चाहिए। दरअसल इस्लामिक सेंटर ऑफ इंग्लैंड अपने आप को शिया रिलीजियस एंड कल्चर सेंटर घोषित करता है, जिसमें एक ट्रस्टी इस्लामिक रिपब्लिक और ईरान की सर्वोच्च मजहबी लीडरशिप का प्रतिनिधि होगा। यह भी इस रिपोर्ट मे कहा गया है कि आईसीईएल में ईरानी प्रतिनिधित्व लंदन मे ईरानी दूतावास से एकदम अलग है, जो कि ईरान सरकार का आधिकारिक प्रतिनिधित्व है।

स्रोत: https://policyexchange.org.uk/wp-content/uploads/Tehran-Calling.pdf

Topics: Iranब्रिटेनअंतरराष्ट्रीय न्यूजब्रिटेन में इस्लामिक कट्टरतापॉलिसी एक्सचेंज रिपोर्टIslamic fundamentalism in Britain#islamPolicy Exchange Reportइस्लामinternational newsईरानbritain
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