पालघर साधु लिंचिंग मामले में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. शिवसेना ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दबाव के आगे झुकने का आरोप लगाया है, जिसके परिणामस्वरूप पालघर साधु लिंचिंग मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने में देरी हुई थी।
खुलासा करते हुए शिवसेना सचिव और प्रवक्ता किरण पावस्कर ने कहा कि ठाकरे द्वारा गांधी के निर्देश का अनुपालन करने से इस भयावह घटना की समय पर जांच नहीं हो सकी।
पावस्कर ने आरोप लगाया, “ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि गांधी के दबाव में, ठाकरे मामले को सीबीआई को स्थानांतरित नहीं करने पर सहमत हुए।” उन्होंने इस घटना पर ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि हत्या तब हुई जब ठाकरे कथित रूप से उदासीन थे, और तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख धन इकट्ठा करने में व्यस्त थे। पावस्कर ने कहा कि सरकार की निष्क्रियता से साधुओं की हत्या में संलिप्तता का संदेह पैदा होता है।
बता दें कि पालघर साधु लिंचिंग मामले ने देश को हिलाकर रख दिया, जब 16 अप्रैल, 2020 को जूना अखाड़े से जुड़े दो साधुओं, 70 वर्षीय कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 वर्षीय सुशील गिरि महाराज की उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाडेरे के साथ हत्या कर दी गई। 100 से अधिक कट्टरपंथी लोगों की भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर साधुओं की निर्मम हत्या कर दी। भीड़ ने उन पर तब हमला किया जब वे एक अन्य साधु के अंतिम संस्कार के लिए मुंबई से गुजरात जा रहे थे।
घटना के वीडियो में वीभत्स हत्या को कैद किया गया है जिसमे घटना के समय पुलिस की मौजूदगी भी नजर आई। घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी कथित तौर पर मूकदर्शक बने रहे। यहां तक कि पीड़ितों को भीड़ के हवाले कर दिया।
अखाड़ा नेताओं की मांग और सार्वजनिक आक्रोश के बावजूद, ठाकरे के प्रशासन ने मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का विरोध किया, जिसके बारे में पावस्कर ने दावा किया कि इससे समय पर जांच में बाधा उत्पन्न हुई। 30 जून, 2022 को एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री की भूमिका संभालने के बाद ही मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था।
बता दें कि सीबीआई जांच की मांग के बावजूद, मामले को उद्धव सरकार ने सीआईडी को स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिलने में देरी हुई है।
टिप्पणियाँ