कपूरथला। पाकिस्तान में भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या करने वाले सरफराज की पाकिस्तान में रविवार को गोलियां मारकर अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है। इस पर सरबजीत की बेटी स्वप्नदीप कौर का बयान आया है। उन्होंने कहा कि उनके पिता (सरबजीत) की हत्या का सबूत मिटाने के लिए ही अमीर सरफराज की पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की ओर से हत्या कराई गई है। पाकिस्तान पहले तो भारत के खिलाफ किसी अपराधी का प्रयोग करता है और काम पूरा होने के बाद उसकी हत्या करा देता है।
तरनतारन जिले के भिखीविंड कस्बा निवासी सरबजीत सिंह 30 अगस्त 1990 की शाम भारत-पाकिस्तान सीमा पार करके पाकिस्तान चले गए थे। बाद में उन्हें पाकिस्तान पुलिस ने फैसलाबाद में हुए बम धमाकों के मामले में झूठा आरोप लगाकर गिरफ्तार किया। पाकिस्तान पुलिस ने दावा किया था कि तरनतारन के गांव भिखीविंड निवासी सरबजीत सिंह भारतीय एजेंसियों का जासूस है और पाकिस्तान में वह मनजीत सिंह के नाम पर रहता था। उसने फैसलाबाद में बम धमाके किए थे, जिनमें 14 लोगों की जान चली गई थी। वर्ष 1991 में सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। पाकिस्तान की अदालत द्वारा सरबजीत सिंह को सजा सुनाए जाने के बाद मामला भारत सरकार के समक्ष उठाया था। सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर और पत्नी सुखप्रीत कौर ने भारत सरकार के समक्ष कई बार गुहार लगाते हुए सरबजीत सिंह की रिहाई के लिए मांग की थी। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से सरबजीत सिंह का मामला उठाया था।
बता दें कि सरबजीत सिंह पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद थे। वहां 26 अप्रैल 2013 को इसी जेल में बंद अमीर सरफराज ने साथियों से मिलकर जानलेवा हमला किया था। हमले में गंभीर रूप से घायल सरबजीत सिंह को अस्पताल में दाखिल करवाया गया, जिसके बाद सरबजीत सिंह का परिवार 1 मई 2013 को उन्हें मिलने के लिए पाकिस्तान पहुंचा था। परिवार सरबजीत सिंह से मिलने के लिए जब पाकिस्तान पहुंचा तो वह बेहोशी की हालत में थे। बाद में सरबजीत का परिवार लौट आया। 2 मई 2013 को सरबजीत सिंह को मृत घोषित किर दिया गया था। तत्कालीन बादल सरकार की ओर से उन्हे शहीद का दर्जा दिया गया था। सरबजीत की बड़ी बेटी स्वप्नदीप कौर को नायब तहसीलदार बनाया गया था।
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