लॉ एंड ऑर्डर मजबूत होने का फायदा सभी को मिलता है। इसकी एक नजीर देश की राजधानी में पहली बार उस वक्त देखने को मिली जब ईद के मौके पर नमाज इस बार सड़कों की जगह मस्जिदों में पढ़ी गई। इसकी तारीफ करते हुए दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना कहते हैं कि ये सद्भाव और सह-अस्तित्व का एक उत्कृष्ट उदाहरण था।
एलजी वीके सक्सेना ने गुरुवार को ईद के मौके पर मुस्लिमों को बधाई देते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि सभी मुद्दों को आपसी बातचीत और सद्भावना से हल किया जा सकता है। अपनी एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा कि दिल्ली में कहीं भी सड़क पर नमाज नहीं पढ़ी गई और कहीं भी कोई “अप्रिय घटना” नहीं हुई।
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उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर नमाज़ का आयोजन और नमाज अदा करके, अलग-अलग समय पर, ‘इमाम’ और मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने “सुनिश्चित किया कि सड़कों पर यातायात प्रभावित न हो और कोई अप्रिय घटना न हो और आम लोग ऐसा करें। किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।” गौरतलब है कि दिल्ली की सड़कों पर नमाज पढ़ने से रोकने के लिए 4 अप्रैल तो एलजी सक्सेना ने दिल्ली में इस्लामिक इमामों के साथ बैठक कर इस मामले को लेकर चर्चा की थी।
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जिसका असर ये हुआ कि इमामों ने मुस्लिमों को समझाया और इस बार दिल्ली की सड़कों पर नमाज जैसी गतिविधि नहीं हुई। यही हाल कुछ उत्तर प्रदेश में भी रहा, जहां सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ी गई। कुछ एक जगहों पर कुछ कट्टरपंथी मानसिकता वाले मुस्लिमों फिलिस्तीनी झंडे लहराकर आतंकी हमास का समर्थन जरूर किया। हालांकि, पुलिस की मुस्तैदी से ऐसे तत्व इस बार अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके।
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