सहारनपुर । आध्यात्मिक गुरू स्वामी दीपंकर की भिक्षा यात्रा के 500 दिन पूरे हो गए हैं। यात्रा के रूप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और सहारनपुर में इस पहल ने ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। स्वामी दीपंकर की भिक्षा यात्रा समाज को जाति मुक्त बनाने के लिए समर्पित है।
500 दिन की भिक्षा यात्रा हजारों समुदायों के हृदय में अपनी जगह बना चुकी है, जिससे समाज में एक नई प्रेरणा पैदा हुई है। इसके शुरूआत से ही स्वामी दीपंकर की भिक्षा यात्रा ने निःस्वार्थता और सामाजिक बदलाव के विचार को स्थापित किया है। शिष्यों के साथ स्वामी दीपंकर ने गाँवों, शहरों, और नगरों में जाकर लाखों लोगों से मुलाकात की और समानता, शांति, और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश फैलाया।
करीब 25 लाख लोगों को संकल्प दिलाकर जाति मुक्त समाज के विचार तो गंभीरते से रखा है। करीब 35 लाख मिस्ड कॉल से लोगों ने भिक्षा यात्रा से जुड़कर अपना समर्थन दिया है। भिक्षा यात्रा के दौरान हजारों लोगों ने एफिडेविट देकर ताउम्र जातियों में न बंटने का संकल्प लिया।
भिक्षा यात्रा के दौरान, स्वामी दीपंकर की मौजूदगी ने समाज में आशा का दीपक जला है, विविधता के बीच एकता और समझ को बढ़ावा मिला है। उनके जीवन के अनुभवों से लाखों लोगों को संगठित होने का एक नया विचार मिला है, अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिला है। दशकों से रिक्त स्थान को भरने का एक सफल प्रयास भिक्षा यात्रा के तौर पर आज देश के सामने है।
एक सामूहिक चेतना का अहसास स्वामी दीपांकर ने बढ़ाया है। यात्रा ने दया और उदारता के कई उदारहणों को देखा है। गांवों से लेकर शहरों तक, गली से लेकर मोहल्लों तक और भव्य मंदिरों लेकर आश्रमों तक भिक्षा यात्रा ने एक अमिट छाप छोड़ी है। जाति मुक्त समाज की लौ को आगे बढ़ाते हुए एक मिसाल कायम की है और समाज को संगठित किया है।
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