तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के फणीगिरी गांव में इन दिनों कुछ ऐसा हुआ है, जो चर्चा का विषय बना है। दरअसल गांव के बौद्ध मंदिर में खुदाई का काम चल रहा था। इस दौरान खुदाई में बड़ी संख्या में प्राचीन सीसे के सिक्के जमीन के अंदर से मिले हैं। जिसको लेकर यह दावा किया जा रहा है कि ये सिक्के इक्ष्वाकु काल के हैं।
‘द हिंदू’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, नदी के किनारे पर बसे फणीगिरी गांव में 29 मार्च के दिन खुदाई का काम चल रहा था। इस दौरान जमीन के स्तर से करीब 40 सेंटीमीटर की गहराई पर एक मटके के आकार का मिट्टी का गोल बर्तन दिखाई दिया। जिसके बाद उस बर्तन को बाहर निकाला गया। तो वहां मौजूद हर कोई देखकर दंग रह गया, क्योंकि वह बर्तन सीसे के सिक्कों का भरा हुआ था।
वहीं सूचना मिलने पर 4 अप्रैल को इतिहास और विरासत विभाग की निदेशक भारती होलिकेरी, सूर्यापेट के अतिरिक्त जिला कलेक्टर बी.एस. और राज्य पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव लता शैलजा रमैया ने गांव का निरीक्षण किया। जिसके बाद शैलजा रमैया और हेरिटेज विभाग तेलंगाना की निदेशक भारती होलिकेरी ने कहा कि खुदाई के दौरान मिट्टी का बर्तन मिला जो सीसे के सिक्कों से भरा हुआ था। उनके मुताबिक मिट्टी का बर्तन करूब 3,730 सिक्कों से भरा हुआ था। जिनमें से हर एक किस्के का वजन लगभग 2.3 ग्राम था। उनके अनुसार बर्तन का मुंह बाहर की ओर से बंद था और अंदर एक टूटा हुआ कटोरा भी था।
हेरिटेज विभाग तेलंगाना की निदेशक भारती होलिकेरी के अनुसार पुरातत्व विभाग की टीम की तरफ से निरीक्षण के बाद यह साफ हो गया है कि खुदाई के दौरान मिले सभी सिक्के एक जैसे हैं। जो सीसे से निर्मित हैं। जिसमें सिक्के के एक तरफ हाथी का चित्र और दूसरी तरफ उज्जैन का चित्र बना हुआ है। वहीं भारती होलिकेरी ने बताया कि स्तरित ग्राफिकल और टाइपोलॉजिकल अध्ययन से हम इस बात का पता लगा सकते हैं कि ये सीसे के सिक्के इक्ष्वाकु काल के हैं।
बहरहाल, इस मंदिर की खुदाई के दौरान न सिर्फ सीसे के सिक्कों से भरा मिट्टी का बर्तन मिला है, बल्कि अन्य कई कांच के नमूने, महिलाओं के पहने जाने वाले आभूषणों के नमूने और उस समय बच्चों द्वारा खेली जाने वाली गाड़ियों के पहिए भी मिले हैं।
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