जिन्ना के कंगाल देश के एक के बाद एक मंत्री को भारत से ‘कारोबार करने और रिश्ते सुधारने’ की ऐसी उतावली क्यों है? दो दिन पहले विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा था कि जल्दी ही भारत के साथ कारोबार शुरू हो सकता है। तो अब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ा बयान दिया है कि भारत में आम चुनाव पूरे होने के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध सुधर सकते हैं।
पड़ोसी देश में हाल में कुर्सी पर बैठी शाहबाज सरकार में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को अगर लगता है कि भारत के आम चुनाव के बाद उस देश से उनके देश के रिश्ते पटरी पर आ जाएंगे तो उसकी कोई वजह भी होगी। इसके पीछे वे ऐतिहासिक संबंधों को वजह गिनाते हैं। उनके हिसाब से दोनों देशों के बीच संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है इसलिए संबंध सुधर सकते हैं। ख्वाजा ने आखिर यह क्यों नहीं कहा कि संबंध पटरी से उतरे हैं तो उस आतंकवाद के कारण जिसे पाकिस्तान ने अपनी स्टेट पॉलिसी बनाया हुआ है यानी सरकार के स्तर पर आतंकवाद को पोसा जा रहा है।
साल 2019 के बाद से ही भारत का संभा मंचों से यही कहना रहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पोसता रहेगा उससे कोई बातचीत नहीं की जाएगी। दुनिया जानती है कि सीमापार मौजूद आतंकवादी कैंपों से जिहादी भारत में भेजे जाते रहे हैं, जिन पर चोट पहुंचाने के लिए भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक भी की हैं।
इस्लामाबाद में प्रेस से बात करते हुए ख्वाजा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का लंबा इतिहास रहा है। ख्वाजा जानते ही होंगे कि इतिहास तो पाकिस्तान की भारत के प्रति धूर्तता बरतने का भी रहा है, पाकिस्तान द्वारा विश्वासघात करने का भी रहा है। भारत पर चार युद्ध थोपकर उनमें पाकिस्तान के मुंह की खाने का भी एक इतिहास रहा है। लेकिन भारत के हाथों बुरी तरह पिटने के बाद भी पाकिस्तान ने जनरल जिया के बनाए शैतानी एजेंडे ‘ब्लीड इंडिया विद ए थाउसेंड्स कट्स’ पर चलना नहीं छोड़ा है।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री लोकसभा चुनाव के खत्म होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे यह नहीं बोले कि उनका देश आतंकवाद को पोसना बंद करेगा, जो भारत की ओर से द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने की पहली शर्त है। ख्वाजा को चुनाव खत्म होने के बाद संबंधों के सुधरने की उम्मीद सिर्फ इतिहास के झरोखे से ही क्यों नजर आ रही है?
इस्लामाबाद में प्रेस से बात करते हुए ख्वाजा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का लंबा इतिहास रहा है। ख्वाजा जानते ही होंगे कि इतिहास तो पाकिस्तान की भारत के प्रति धूर्तता बरतने का भी रहा है, पाकिस्तान द्वारा विश्वासघात करने का भी रहा है। भारत पर चार युद्ध थोपकर उनमें पाकिस्तान के मुंह की खाने का भी एक इतिहास रहा है। लेकिन भारत के हाथों बुरी तरह पिटने के बाद भी पाकिस्तान ने जनरल जिया के बनाए शैतानी एजेंडे ‘ब्लीड इंडिया विद ए थाउजेंड कट्स’ पर चलना नहीं छोड़ा है।
इतना ही नहीं, चीन के पैसों पर पल रहे जिन्ना के देश ने अपने आका कम्युनिस्ट चीन के साथ मिलकर लगभग हर अंतरराष्ट्रीय मंच से कश्मीर और भारत को लेकर अपना विध्वंसक रवैया दर्शाया है।
आज पाकिस्तान चीन के अहसानों तले दबा हुआ जर्जरहाल देश है। उसका कश्मीर के एक हिस्से पर अवैध कब्जा है जिसे मुक्त कराने का भारत की संसद का संकल्प है। इस कब्जे की वजह से उसकी पहुंच चीन की सरहद तक बनी हुई है। अफगानिस्तान की कुर्सी पर बैठे तालिबान ने पाकिस्तान की नाक में दम किया हुआ है। शायद इसलिए और संभवत: अपने आका चीन के इशारे पर ख्वाजा को भारत से रिश्ते याद आ रहे हों। जैसा पहले बताया, गत दिनों पड़ोसी इस्लामी देश के विदेश मंत्री इशाक डार को भी भारत संग कारोबार शुरू करने की संभावनाएं दिखने की बात आई थी। इससे लगता है कि शाहबाज सरकार के स्तर पर इस बारे में कोई रणनीति बनी है।
जिन्ना का देश आज भले अपने रक्षा मंत्री के मुंह से यह कहलवाता हो कि इन दिनों पाकिस्तान नहीं, आतंकवाद का गढ़ अफगानिस्तान है। लेकिन सच अब भी वही है कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई आतंकवाद को खाद—पानी दे रही है। दूसरी तरफ यह एजेंसी आरोप उछालती रही है कि तालिबान पाकिस्तान में मारकाट मचा रहे आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी का मददगार बने हुए हैं।
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