दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को बड़ा एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज केस में अपनी चार्जशीट को फाइल कर दिया है।
Enforcement Directorate (ED) has filed a charge sheet in Delhi Jal Board money laundering case. It is a case of alleged corruption in tendering of flow meter procurement.
— ANI (@ANI) March 30, 2024
यह फ्लो मीटर खरीद की निविदा में कथित भ्रष्टाचार का मामले से जुड़ा हुआ है। दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार्जशीट फाइल की है। इसमें सेवानिवृत्त मुख्य इंजीनियर जगदीश अरोड़ा और ठेकेदार अनिल अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है। बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड घोटाला मामले में ही ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी समन जारी किया था लेकिन वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे।
इसके साथ ही पिछले महीने इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भारत के महालेखा परीक्षक (सीएजी) को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के 2018 से लेकर 2021 तक के खातों की जांच में तेजी लाए। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया था।
भ्रष्टाचार का पर्याय बना दिल्ली जल बोर्ड
पिछले महीने भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली जल बोर्ड घोटाले को लेकर गहा ता कि ये बोर्ड घोटाले और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है। तिवारी ने कहा था कि जल बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य था कि यह खुद अपना मूलभूत ढांचा तैयार करेगा और अपने राजस्व से अपने खर्चे चलाएगा। केवल बड़ी प्लान हेड योजनाओं के लिए दिल्ली सरकार आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराएगी।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 1999 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने जल बोर्ड के संसाधनों की लूट मचाई। जिसकी वजह से 2013-14 के अंत में जल बोर्ड पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए की देनदारी खड़ी हो गई। उसके बाद 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, उसने 14 लाख घरों को नल से जल देने का सपना दिखाया, लेकिन जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।
मनोज तिवारी ने कहा कि हर घर को पानी देने का सपना दिखाने वाली केजरीवाल सरकार ने जनता को धोखा दिया है। दिल्ली में आज 1350 एमजीडी पेय जल की आवश्यकता है, लेकिन उपलब्धता मात्र 950 एमजीडी की है। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 9 साल में पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कोई काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि बीते 5 वित्तीय वर्षों में जल बोर्ड को 12,700 करोड़ रुपए के ऋण और अनुदान दिए गए, लेकिन इन पैसे का कोई हिसाब नहीं है।
मनोज तिवारी ने कहा कि वित्त विभाग ने जब हिसाब मांगा तो केजरीवाल सरकार ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया। किसी भी संस्था में हेरफेर का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आज भी एक तिहाई आबादी टैंकर माफिया के रहमो करम पर है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट राशि की अगली किस्त देने के लिए जब वित्त विभाग ने जल बोर्ड से 1557 करोड़ रुपए का हिसाब मांगा तो जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में जल संकट की धमकी देना शुरू कर दिया।
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