लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में दो और महापुरुषों के बारे में पढ़ाया जाएगा. अब छात्रों को स्वतंत्रता सेनानी व राजनेता ‘वीर सावरकर’ और समाज सुधारक ‘ज्योतिबा फुले’ के बारे में भी पढ़ाया जाएगा. इन दोनों महापुरुषों के चिंतन व दर्शन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए पठन सामग्री को अंतिम रूप दे दिया गया है.
जानकारी के अनुसार राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से पाठ्यक्रम में बदलाव करने का प्रस्ताव, बोर्ड ऑफ स्टडीज में रखा गया था. बोर्ड में विचार के पास इस प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी है. अब इसके बाद 11 अप्रैल को फैकल्टी बोर्ड की बैठक होने वाली है. उस बैठक में भी इस प्रस्ताव को रखा जाएगा. वहां से प्रस्ताव पास होने के बाद पाठ्यक्रम में बदलाव प्रभावी हो जाएगा.
उल्लेखनीय के वीर सावरकर वर्ष 1911 से लेकर 1921 तक अंडमान की जेल में निरुद्ध थे. वर्ष 1921 में स्वदेश लौटने के बाद फिर से उन्हें 3 साल तक जेल में में बंद रखा गया था. वर्ष 1937 में वह हिंदू महासभा के अध्यक्ष चुने गए थे. उनका संपूर्ण जीवन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ था. वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की पहली पंक्ति के सेनानी थे.
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