सोनचिरैया संस्था की ओर से दो दिवसीय देशज महोत्सव का समापन हो गया। लोक कलाओं और लोक कलाकारों के प्रोत्साहन के साथ देशज महोत्सव मंगलवार को शुरू हुआ था। सोनचिरैया संस्था की ओर से लोहिया पार्क गोमती नगर में दो दिवस तक चले देशज महोत्सव में भारत के 10 राज्यों के 500 से अधिक कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेशों की लोककलाओं का प्रदर्शन किया।
देश भर के विभिन्न अंचलों से पधारे लगभग पांच सौ लोककलाकारो की मंगल उपस्थिति से सजा देशज का मंच धन्य हो गया। देशज दर्शन के लिए दोनों दिन जैसी भीड़ उमड़ी कि देख कर मन अत्यंत उत्साहित हो गया। कार्यक्रम आरंभ हुआ एक सौ महिला कलाकारों द्वारा भगवान रामजन्म की बधाई सोहर मंगल गीत से।
इस बार अन्य विधाओं के साथ साथ मुख्य विषय था शौर्य परंपराओं में निहित कलाएं जिन्हे मार्शल आर्ट भी कहा जाता है। केरल का कलारायीपट्टू, बंगाल का राइबिंशी ने सभी को रिझाया, पंजाब के गतका ने सभी को हतप्रभ कर दिया, तो मलखंभ में छोटे बच्चों की निपुण पकड़ ने सबको दंग किया, लेकिन सब पर भारी थी कश्मीर से आई बेटियों की उपस्थिति, जो श्रीनगर से “राऊफ ” लेकर आई थीं।
असम का बिहू, बुंदेलखंड का नौरता, राजस्थान का कालबेलिया और चरी मणिपुर का मोहक रास। लोककलाकारों ने ऐसा उत्सव रचा कि लखनऊ ही देशज बन गया।
अद्भुत स्मृतियां हैं,
प्रतिदिन पांच बजे से पूर्व दर्शकों का आसन ग्रहण कर लेना, उंगली थामे बच्चों को ले कर माता पिता का आना, युवाओं का कलाकारों से मिलने कैमरे में उनको मुद्रा को कैद करने की उत्कंठा.. समाप्ति को घोषणा के बाद भी दर्शकों का अपनी जगह से न उठना, और कलाकारों के साथ मंच पर नृत्य करते हुए एकाकार हो जाना. देशज की ये पल अद्भुत थे. जिन्हें वहां पर मौजूद हर व्यक्ति ने महसूस किया।
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