उत्तराखंड में विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 36 ऊंचे हरे पेड़ काट कर बुगियों में लकड़ी भर के ले जाने के आरोप में दो मुस्लिम वन गुज्जर को कॉर्बेट प्रशासन ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। कॉर्बेट पार्क के निदेशक डॉ धीरज पांडेय ने कुम्गडार बीट के स्टाफ हो हटा दिया है और इस घटना की जांच उप प्रभागीय वन अधिकारी कालागढ़ डा शालिनी जोशी को सौप दी है। ये कोई पहली घटना नही है मुस्लिम वन गुर्जरों ने उत्तराखंड के जंगलों में अपराध किया हो, ऐसे कई मामले पिछले कुछ सालो में सामने आए है जिनमें इन्हें संलिप्त पाया गया है।
उल्लेखनीय है ये कभी जंगल के रखवाले हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी नई पीढ़ी जंगल संपदा का दोहन करने लग गई है। उत्तराखंड के जंगलों में वन गुर्जर गैर कानूनी कार्यों में लिप्त हैं, इस खबर को “पाञ्चजन्य” ने सबसे पहले प्रकाशित किया था। वन गुर्जर यहां वन्य जीवों की हत्या कर उनके अंग, खालें, हाथी दांत, बाजार में बेचने का धंधा कर रहे हैं, वन गुज्जर ने वन विभाग की सैकड़ों हैक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा कर यहां यूपी हिमाचल जम्मू कश्मीर के संदिग्ध वन गुज्जर को बसा रहे है, इस बात का भी खुलासा किया था।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जहां बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध है यहां केवल जीप से ही जाया जा सकता है और यहां पैदल चलने की भी मनाही है, वहां जंगल में अंदर जाकर मुस्लिम वन गुज्जर जाकर हरे पेड़ काट रहे है, उनके पास आधुनिक आरे है, बुग्गी है और मोटर बाइक भी है? क्या ये बिना वन कर्मियों की मिलीभगत के संभव है ? ये बड़ा सवाल है, कॉर्बेट पार्क में इसी तरह अंदर अवैध मजारें भी बन गई थी जिन्हें कॉर्बेट प्रशासन ने हटाया था।
बताया जाता है कि रात के अंधेरे में ये वन गुर्जर हरे पेड़ों की हत्या करते थे, इन्हें बाघों का डर नहीं रहा, खास बात ये कि ये पेड़ एक रात में नहीं, बल्कि पिछले कई रातों से काट रहे थे और इसकी भनक कॉर्बेट प्रशासन के बीट कर्मियों को क्या नहीं रही होगी ?
कॉर्बेट प्रशासन ने अपनी सीमा मार्गो पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए हैं, जिनकी मॉनिटरिंग लगातार होती रहती है। इसके बावजूद यहां वन तस्कर अपना काम करते रहे। कॉर्बेट डायरेक्टर डा धीरज पांडेय के मुताबिक, यूपी से लगे सीटीआर क्षेत्र से आरोपी आए थे। हमने वन गुज्जर मोहम्मद गफूर और शमशेर अली को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है, इनके साथ और भी लोग हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
पहले भी बाघ की खाल के साथ पकड़े गए वन गुज्जर
इससे पहले डीएफओ तराई वन प्रभाग संदीप कुमार और उनकी टीम ने बाघ के शिकार करने के आरोप में मुस्लिम वन गुज्जर इमाम और शमशाद को गिरफ्तार किया है, इमाम हरिद्वार वन प्रभाग के पास चिड़ियापुर का रहने वाला है। जबकि, शमशाद यूपी के बिजनौर का रहने वाला है। ये दोनों उत्तराखंड में छुपे हुए थे। इन दोनों पर बाघ को मारने का आरोप है, जिसकी खाल 22 जुलाई को धारचूला के रहने वाले चार लोगो से एसटीएफ ने बरामद की थी।
दो साल पहले मुस्लिम गुज्जर गुलाम रसूल से दो बड़े हाथी दांत भी बरामद किए गए थे। बाघ की हत्या में जो कल पकड़े गए हैं वो पहले भी बाघ की हत्या के आरोप में जेल जा चुके हैं, इनके घर से जमीन में गड़ी हुई बाघ की हड्डियां बरामद हुई थी। जानकारी के मुताबिक, इस गिरोह ने अभी तक चार बाघों के शिकार किए जाने की बात कबूली थी।
गुज्जर में पैठ बना रहे जमाती
उत्तराखंड के जंगलों में मुस्लिम कट्टरपंथ की घुसपैठ हो चुकी है, कभी जंगल के रखवाले माने जाने वाले वन गुज्जर के समुदाय में जमीयत का दखल बढ़ता जा रहा है, मुस्लिम वन गुर्जर उत्तराखंड की जंगल की जमीन की लैंड जिहाद के तहत कब्जाने में लगे हैं। वन गुर्जर न सिर्फ सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जे का रहे हैं बल्कि हाथी बाघ तेंदुए जैसे दुर्लभ वन्यजीव प्राणियों का शिकार भी कर रहे हैं।
उत्तराखंड में कभी जंगल के रखवाले कहे जाते वन गुर्जरों को शाकाहारी रहना उनके संस्कारों में शामिल था, परंतु अब उनकी नई पीढ़ी में जमीयत का प्रभाव देखा जा रहा है। वन मुस्लिम गुर्जरों के बच्चे युवा अब जमातों में जाकर इस्लामिक कट्टरपंथ की जकड़ में आ चुके हैं। पहले इस समुदाय में बकरे की कुर्बानी तक नहीं होती थी जब से इनके यहां जमीयत के मौलानाओं का आना जाना हुआ है और इनके मन ये बात गहरा दी गई है तुम इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हो और तुम्हे यही जीवन जीना है। तब से इनका सामाजिक परिवर्तन सामने आ गया है, जंगलों में इनके बच्चों को इस्लामिक शिक्षा के लिए मदरसे खोले जा रहे है। जहां हाफिज मौलाना बाहर से आकर डेरा डाल रहे है और मजहबी कट्टरपंथ की तालीम दे रहे हैं। हालात ऐसे हो गए है कि वन गुज्जर उत्तराखंड में लैंड जिहाद में शामिल हो चुके हैं और इसके पीछे जमीयत की योजना काम करती दिखलाई दे रही है।
जंगल की जमीन पर अवैध कब्जे कर रहे हैं वन मुस्लिम गुज्जर
कॉर्बेट और राजा जी टाइगर रिजर्व से वन गुर्जरों को बाहर निकाल कर बसाने के काम में इस समुदाय के साथ हिमाचल, कश्मीर और यूपी के मुस्लिम वन गुर्जरों ने जमात के साथ मिलकर एक योजना के तहत बसावट कर ली है। ऐसा जानकारी में तब आया जब विस्थापन से पूर्व 512 परिवार ही 1998 के सर्वे में आए किंतु जब विस्थापन हुआ तो इनकी संख्या पांच हजार से ज्यादा हो गई और आज भी कई वन गुर्जर सरकारी खामियों का फायदा उठा कर जमीन कब्जानें के दावे करने में लगे हैं।
जबकि, 1632 में से 1390 वन गुर्जरों का ही राजा जी से और 224 का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ से विस्थापन किया जाना था। विस्थापन में परिवार की परिभाषा में बालिग , निकाह और शरीयत कानून के चलते इनके द्वारा बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के जंगलों से बाहर और अंदर घुसपैठ कर ली गई है। ऐसे भी सबूत मिले हैं कि इनकी पत्नियों के पति भी बदलते रहे और उनके बच्चे भी और वे वन भूमि से विस्थापन होने का दावा करने लगे।
उत्तराखंड में जिस परिवार को विस्थापन होने के लिए एक हैक्टेयर जमीन मिली और करीब साढ़े चार लाख रु की धनराशि मिली उनमें से कई लोग अपना मकान रख शेष जमीन को यूपी हिमाचल कश्मीर के गुज्जरों को दस रु के स्टांप पर बेच कर पहाड़ों की तरफ अपने पशु लेकर चले गए और वहां रिजर्व फॉरेस्ट में भी अपने डेरे डाल कर बैठ गए अब पहाड़ी जंगलों में भी बाहर के मुस्लिम गुज्जर पहुंचने लगे और वहां भी मदरसे खोल कर बैठ गए। फॉरेस्ट प्रभागों से मिली जानकारी के मुताबिक हजारों हैक्टेयर जमीन इस समय मुस्लिम वन गुज्जर ने कब्जा ली है और इनकी खुद की संख्या भी पंद्रह हजार से ज्यादा है।
इस बात के प्रमाण वन विभाग के पास जीपीएस और सेटलाइट चित्रों से मिले हुए है। तराई सेंट्रल, तराई वेस्ट में करीब पांच हजार वन भूमि पर कब्जा कर वन मुस्लिम गुज्जर खेती कर रहे हैं और विभाग खामोशी की चादर ताने सोया हुआ है।
हर हाल में हटाएं जायेंगे अतिक्रमण: धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग के मुखिया अनूप मलिक और अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डा पराग मधुकर धकाते को स्पष्ट निर्देश दिया है कि उत्तराखंड के जंगलों से वन गुज्जर के या अन्य किसी के भी अवैध कब्जे है तुरंत हटाए जाए इसमें कोई राजनीति कोई दबाव सहन नहीं किया जाएगा।
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