मुस्लिमों के लिए इस्लामिक शिक्षा देने वाले संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने मदरसा छात्रों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जमीयत ओपन स्कूल शुरू किया है. इसमें राष्ट्रीय ओपन स्कूलिंग संस्थान उसकी मदद कर रहा है. इस बीच अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने NIOS को एक पत्र लिखकर उससे जबाव मांगा है.
दरअसल, NIOS के सहायक निदेशक डॉ शोएब रजा खान जमीयत के इस कदम की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए संगठन को हर संभव मदद देने का एलान किया है. NCPCR के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो द्वारा लिखे गए इस पत्र में बताया गया है कि ये सारी जानकारी जमीयत की वेबसाइट पर उपलब्ध है. जिसमें सरकार पर ये आरोप लगाए हैं कि सरकार मदरसों के आधुनिकीकरण करने में रोड़ा अटका रही है.
ऐसे में NCPCR अध्यक्ष ने NIOS से पूछा है कि क्या उसके और जमीयत के बीच कोई समझौता या ज्ञापन हुआ है क्या?, जमीयत और NIOS के बीच प्रति छात्र फीस शेयर कितना है?
आयोग ने NIOS से सवाल किया है कि ये देखने में आया है कि जमीयत ने लंदन स्थित अपने ओपन स्कूल के लिए Just मात्रा में धन उगाही कि है, वो भी कथित तौर पर NIOS के साथ मिलकर. आयोग ने पूछा है कि इस तरह फंडिंग में NIOS का कितना हिस्सा है?
शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार
आयोग का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21A के अनुसार, नि:शुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 इस अधिकार का विस्तार करता है. तीसरी, पाँचवीं और आठवीं कक्षा के लिए बच्चों को खुली स्कूली शिक्षा प्रदान करना सीधे तौर पर अधिकार के साथ टकराव में है. शिक्षा अधिनियम- 2009 के अनुसार देश और सरकार में लगभग 15 लाख स्कूल हैं. बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्रत्येक 1-3 किलोमीटर पर स्कूल स्थापित किए हैं।
ऐसे में क्लेमेंट्री लेवल के लिए ओपन स्कूलिंग के माध्यम से शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
इसके अलावा आयोग ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वे सभी बच्चे जो इसमें शामिल नहीं हैं वो औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रणाली अधिकारों सहित अपने शैक्षिक अधिकारों से वंचित हैं.आयोग के मुताबिक, जमीयत उलेमा ए हिन्द इन बच्चों को औपचारिक शिक्षा से वंचित करके इस्लामिक संगठन संविधान एवं कानून का उल्लंघन कर रहा है. इसमें NIOS जमीयत के ओपन स्कूल को संस्थागत रूप देने का अवसर प्रदान कर बाल अधिकारों के उल्लंघन में उसका साझदार बन रहा है. NCPCR ने NIOS से अपने अधिकारियों की जांच करने को कहा है.
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