चीन और अरब देशों से भीख में मिले पैसों और आईएमएफ के कर्ज पर किसी तरह घिसट रहा पड़ोसी इस्लामी देश चीन के साथ चल रहे आर्थिक गलियारे की परियोजना ‘सीपैक’ पर आगे बढ़ने को बेताब है। इसके पीछे साफ तौर पर उसके आका चीन का ही दबाव है। चीन के राष्ट्रपति चाहते हैं कि उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना में पाकिस्तान की कंगाली से कोई रोड़ा न अटके, शायद इसलिए वे कर्जे के नाम पर उसे पैसा देते रहते हैं। उसी दबाव तले दबे प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने चीन की सरकारी समाचार एजेंसी को दिए ताजे साक्षात्कार में उक्त परियोजना पर और आगे बढ़ने की ‘इच्छा’ जताई है।
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने शहबाज का मानना है कि चीन के आधुनिकीकरण के कदम की वजह से उसके विकास के केंद्रों तथा इलाकों में दुनिया के बाजार में खड़े होने की हिम्मत आई है। यानी उन्हें लगता है कि ‘पाकिस्तान दुनिया के बाजार में खड़े होने लायक बन रहा है’। आज शायद इससे बढ़ा चुटकुला कोई दूसरा नहीं होगा।
चीनी एजेंसी को दिए इसी साक्षात्कार में शाहबाज ने बड़े विश्वास में भरकर यह भी कहा कि वक्त जेसा भी आए, पाकिस्तान और चीन साथ साथ रहने वाले हैं। उनके अनुसार, पाकिस्तान तथा चीन साझा मूल्यों पर चलते हुए साझा विकास, खुशहाली और तरक्की के रास्ते पर बढ़ते जाएंगे। दिन के सपने देखने वाले शाहबाज अच्छे से जानते हैं कि पाकिस्तान में गले तक व्याप्त भ्रष्टाचार तरक्की का ‘त’ तक नहीं जानता। वहां के सत्ता अधिष्ठान को सिर्फ जिहादी पालते रहना आता है।
इससे पूर्व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गत 3 मार्च को शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की बधाई दे चुके हैं। इसके जवाब में चीन के अहसानों तले दबे शाहबाज ने भी शी को उनकी बधाई और पाकिस्तान का हमेशा हाथ थामे रखने के लिए शुक्रिया कहा था।
जिन्ना के कंगाल देश की राजधानी इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में दिए इस साक्षात्कार में शाहबाज ने चीन की तारीफों के पुल बांधे। उन्होंने कहा, “मैं न सिर्फ पाकिस्तान के लोगों, हमारी दोस्ती को बहुत महत्व देता हूं, बल्कि हमारे बीच आपसी सहयोग के लिए राष्ट्रपति शी की भावनाओं की भी तहेदिल से कद्र करता हूं।”
उल्लेखनीय है कि यह साल चीन और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ का साल है। इसलिए शाहबाज ने संदर्भ देते हुए कहा कि गत 70 से ज्यादा वर्ष में, पाकिस्तान और चीन के नेताओं ने बराबर द्विपक्षीय दोस्ती को और बढ़ावा ही दिया है। दोनों देश ‘आयरन ब्रदर्स’ जैसे दोस्त हैं। हर तरह के माहौल में दोनों पक्के रणनीतिक साझेदार बने हैं।
73 साल के हो चुके शाहबाज़ चीन के आधुनिकीकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान को इस मॉडल को अपनाना चाहिए। लेकिन शाहबाज ऐसा कहते हुए वे कदम नहीं गिना पाए कि यह होगा कैसे। उन्होंने कहा कि इसी चीनी आधुनिकीकरण ने विकास के केंद्रों और इलाकों को इतनी ताकत दी है कि वे दुनिया के बाजार में खड़े हो सकते हैं।
जिहाद के निर्यातक इस्लामी देश के प्रधानमंत्री ने एक और मजाक किया कि ‘पाकिस्तान गरीबी को कम करने, युवा रोजगार को बढ़ावा देने तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, औद्योगिक और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में छोटे तथा मध्यम उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के चीनी मॉडल से कुछ सीख सकता है।
इसके आगे शाहबाज ने फिर से चीन की तारीफ के पुल बांधने शुरू कर दिए कि वह कैसे चुनौतियों के बावजूद, अन्य देशों की तुलना में लगातार तरक्की के रास्ते पर बढ़ रहा है। जिहाद के निर्यातक इस्लामी देश के प्रधानमंत्री ने एक और मजाक किया कि ‘पाकिस्तान गरीबी को कम करने, युवा रोजगार को बढ़ावा देने तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, औद्योगिक और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में छोटे तथा मध्यम उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के चीनी मॉडल से कुछ सीख सकता है।
शाहबाज के अनुसार, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी सीपीईसी की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत पूरे महाद्वीप में फैलीं परियोजनाओं ने गरीबी को कम करने, निवेश को सुविधाजनक बनाने और शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में योगदान दिया है। इस बात से शाहबाज को लगता है कि वैश्विक समाजों को साथ जोड़ने का चीन से बेहतन मॉडल कोई और हो ही नहीं सकता।
चीन की बढ़—चढ़कर तारीफ करने की रौ में शाहबाज ने आगे कहा कि पाकिस्तान अब सीपीईसी के दूसरे चरण की ओर बढ़ने के लिए तैयार है, जिसका लक्ष्य गलियारे के माध्यम से तकनीकी विकास और कृषि को बढ़ावा देना है। इस दृष्टि से शाहबाज ने बताया कि पाकिस्तान ने विशेष निवेश सुविधा परिषद बनाई है, जो लालफीताशाही को खत्म करेगी और सीपीईसी परियोजनाओं में देरी और अक्षमताओं को दूर करेगी।
इस्लामी देश के प्रधानमंत्री ने चीन की तारीफें तो कीं लेकिन अपने यहां जारी उपद्रवों और कट्टर मजहबी आंदोलनों से निपटने का कोई खाका सामने नहीं रखा। तहरीके लब्बैक जैसे आतंकी गुटों ने अपना झंडा उठाया हुआ है, बेरोजगारी और कंगाली पसरी है, गधों की तादाद बढ़ती जा रही है, उसके उकसाए तालिबान ने सरहदों पर तूफान काटा हुआ है। इन सब विषयों को प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ बड़ी सफाई से नजरअंदाज कर गए।
टिप्पणियाँ