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कॉर्बेट पाखरो सफारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी दिया झटका

वन कानून की अवहेलना करने पर कोर्ट ने आईएफएस और डीएफओ पाखरो किशन चंद पर सख्त टिप्पणी की।

by दिनेश मानसेरा
Mar 7, 2024, 12:14 pm IST
in उत्तराखंड
प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

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बहुचर्चित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो वन रेंज में बिना इजाजत अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि उन्होंने तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के निर्देशों को दुस्साहस करार देते हुए कहा था कि वह कानून और नियमों की अनदेखी कर अपने आदेश देते रहे और वन अधिकारी भी इस मामले में उनकी बात मानते रहे।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वी आर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की संयुक्त बेंच वाली कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधियों के विषय में केंद्र सरकार के वन वी जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से एक समिति गठित कर राष्ट्रीय उद्यानों के टाइगर रिजर्व के सीमांत और बफर जोन में सफारी की शर्ते तय करने को भी कहा है।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि तब तक सफारी की पुरानी व्यवस्था ही जारी रहेगी, कोर्ट ने पाखरो मामले में यह भी कहा है कि मामले की जांच अभी भी सीबीआई कर रही है, इसलिए कोर्ट का इस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

वन कानून की अवहेलना करने पर कोर्ट ने आईएफएस और डीएफओ पाखरो किशन चंद पर सख्त टिप्पणी की। किशन चंद इन दिनों जेल में हैं।

क्या है पाखरो मामला?

उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र के पाखरो डिवीजन में अवैध इमारतों के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र सरकार ने एनजीटी के सामने माना है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया और बफर एरिया में इमारतों का अवैध निर्माण हुआ है।

केंद्रीय वन मंत्रालय को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अवैध निर्माण मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी मिली ,पार्क के कोर जोन में छ हजार हरे पेड़ एनजीटी,एनटीसीए की बिना अनुमति के भी काट डाले गए।

वन मंत्रालय ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और वन्यजीव क्षेत्र में निर्माण के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत समेत अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। इनमें जबर सिंह सुहाग (तत्कालीन मुख्य वन्यजीव वार्डन, सुशांत पटनायक (सीसीएफ गढ़वाल) राहुल ((तत्कालीन निदेशक, कॉर्बेट) अखिलेश तिवारी ,डीएफओ किशन चंद्र (डीएफओ कालागढ़) मथुरा सिंह मावड़ी (तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी) श्री ब्रज विहारी शर्मा (वन परिक्षेत्र अधिकारी) एल.आर. नाग (तत्कालीन एसडीओ) उत्तराखंड सरकार में कार्यरत अधिकारी, जिन्होंने अंतिम चरण निकासी से पहले वित्तीय स्वीकृति जारी की थी। आईएफएस किशन चंद रिटायर हो चुके हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

जानकारी के मुताबिक ढिकाला जोन में वाइल्ड लाइफ वार्डन का रेस्ट हाउस जोकि दो कमरों का था उसे ढहा कर छ कमरों का नया गेस्ट हाउस बना दिया गया जिसे एनटीसीए और एनजीटी ने संज्ञान में लेते हुए आपत्ति की थी। जानकारी के मुताबिक टाइगर रिजर्व में पुराने भवन का मरम्मत करके पुराने स्वरूप में रखा जा सकता है न की उसका नव निर्माण किया जा सकता है। यदि यहां कुछ भी नव निर्माण करना होता है तो एनटीसीए,एनजीटी की अनुमति लेना आवश्यक है, जिसे नही लिया गया।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में तत्कालीन बीजेपी सरकार के वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार माना है, हरक सिंह रावत फिलहाल कांग्रेस में हैं और वो इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानते हैं। उनका कहना है इससे पहले केंद्र और राज्य दोनो सरकारे इस लिए सहमत थी कि इस से हजारों लोगो को रोजगार मिलने वाला था लेकिन हरक सिंह रावत से जब ये पूछा जाता है कि केंद्र की एनटीसीए,एनजीटी से इसकी अनुमति क्यों नहीं ली गई, तो वो इस बात का ठीकरा वन अधिकारियो पर फोड़ देते है।

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