नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की लखनऊ स्थित विशेष अदालत ने पाकिस्तान से संचालित जासूसी मामले में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले मोहम्मद राशिद को दोषी ठहराया। अदालत ने मंगलवार को विभिन्न धाराओं के तहत सजा भी सुनाई। अदालत ने आईपीसी की धारा 120बी के तहत 3 साल, आईपीसी की धारा 123 के तहत 5 साल और यूए (पी) एक्ट के तहत 6 साल की सजा सुनाई है। दो-दो हजार का जुर्माना भी लगाया है। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
एनआईए की जांच से पता चला है कि आरोपित ने भारत में संवेदनशील, सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और स्थानों की तस्वीरों के साथ भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों की गतिविधियों के बारे में विवरण अपने मोबाइल से खींची गई प्रतीक चिन्ह की तस्वीरें सीमा पार एजेंटों के साथ साझा की थीं।
मोहम्मद राशिद पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों और आईएसआई से जुड़े एजेंटों के साथ-साथ पाकिस्तान में सरकारी कर्मचारियों के संपर्क में था। व्हाट्सएप के माध्यम से संवेदनशील तस्वीरें और वीडियो भेजने के बाद मोबाइल फोन और व्हाट्सएप अकाउंट को बार-बार रिसेट करता था और डिजिटल फ़ुट-प्रिंट को मिटा देता था।
एनआईए के मुताबिक वह व्हाट्सएप खातों को सक्रिय करने की सुविधा के लिए पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी के गुर्गों के लिए ओटीपी के साथ धोखाधड़ी से भारतीय सिम कार्ड की भी व्यवस्था की थी।साजिश के हिस्से के रूप में उसे रणनीतिक, सामरिक और धार्मिक महत्व के स्थानों की तस्वीरें और वीडियो सहित जानकारी की आपूर्ति के लिए आईएसआई एजेंटों से धन और उपहार प्राप्त हुए थे।
यह मामला शुरू में एटीएस गोमती नगर, लखनऊ (यूपी) द्वारा 19 जनवरी 2020 को आईपीसी की धारा 123 के तहत दर्ज किया गया था। इसे उसी वर्ष 6 अप्रैल को एनआईए द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया और फिर से पंजीकृत किया गया। इस मामले में मोहम्मद राशिद खिलाफ जुलाई 2020 में आरोपपत्र दायर किया गया था और बाद में एक अन्य आरोपित जिसकी पहचान रजकभाई कुंभार के रूप में हुई। उसे फरवरी 2021 में एजेंसी द्वारा आरोपित किया गया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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