केरल में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का अगुवाई वाली वापमंथी सरकार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो है। राज्य सरकार के पास अपने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन देने के लिए पैसों की कमी है। इस बीच केंद्र सरकार ने राज्य को 4122 करोड़ रुपए की राशि दी है।
इसमें नियमित टैक्स की इंस्टालमेंट के 2736 करोड़ रुपए और IGST के हिस्से के तौर पर 1386 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। केंद्र से मिली इस मदद से केरल को अपनी ओवरड्रॉफ्ट की सीमा को कम करने में मदद मिलेगी। इस मदद से प्रदेश के कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और बीमा की राशि मिलनी शुरू हो गई है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि राज्य को जितनी मदद मिली है वो आवश्यकता के अनुपात में कम है।
केरल कौमुदी की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल सरकार को इस वित्तीय वर्ष के अंतिम माह मार्च तक त्वरित तौर पर करीब 22,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। राज्य सरकार के पास बिजली क्षेत्र में सुधार, केंद्र की मंजूरी पर निर्भरता और ट्रेजरी निवेश के जरिए भुगतान किए गए कर्ज के जरिए 13,608 करोड़ रुपए का संभावित स्रोत मौजूद है। प्रदेश की मौजूदा वित्तीय स्थिति के चलते इस माह के लिए वतन दायित्वों को पूरा कर पाने की सरकार की क्षमता के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते के भुगतान में भी देरी हो सकती है।
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प्रदेश के वर्तमान हालातों को देखते हुए ओवरड्रॉफ्ट में 3700 करोड़ रुपए, सैलरी देने के लिए 3336 करोड़ रुपए और पेंशन के लिए 2353 करोड़ रुपए यानि कुल मिलाकर 5689 करोड़ रुपए की जरूरत है।
प्रदेश पर 40,000 करोड़ रुपए की देनदारी बाकी
गौरतलब है कि केरल पर कुल 40,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। इसमें सोशल वेलफेयर पेंशन का 6 माह का बकाया, योजना निधि का आवंटन, बैंक बकाया, कर्ज, वेतन और पेंशन वितरण, ठेके का दायित्व और मुनाफे का वितरण के खर्च के कररीब 22,000 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है। दावा किया गया है कि बीते 15 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब केरल में कर्मचारियों के लिए पहले दिन वेतन देने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। ट्रेजरी बचत खातों में फंड ट्रांसफर में तकनीकी दिक्कतों के कारण पेंशन का भुगतान करने में भी समस्याएं हैं।
विकास की जगह खर्च के लिए कर्ज चाहता है केरल
गौरतलब है कि पिछले माह केरल ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार की कलई खोलते हुए कहा था कि वह विकास कार्यों की जगह वह रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए उधारी चाहता है। केंद्र सरकार ने देश के शीर्ष अदालत को बताया कि उसने केरल को वित्त आयोग द्वारा सुझाई गई धनराशि से अधिक फंड दिया है। केंद्र सरकार ने यह भी बताया था कि राज्य को दी गई आर्थिक मदद बिना किसी बकाए के दी गई थी। केरल सरकार की पोल खोलते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि केरल के खर्चे बीते कुछ वर्षों में बेतहाशा बढ़े हैं। केरल का अपनी राजस्व प्राप्तियों में से खर्चा 2018-19 के दौरान 78% था जो कि 2021-22 में बढ़ कर 82.4% हो गया। यह देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है।
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