‘उत्तरम् यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्, वर्षं तद् भारतम् नाम भारती यत्र संतति:’ विष्णु पुराण के अनुसार भारत की यही पहचान है। उत्तर में हिमालय और दक्षिण में समुद्र से घिरी जो भूमि है उसे भारत भूमि कहा जाता है और यहां रहने वाली संतानों को भारतीय कहा जाता है। हिमालय को भारत का प्रहरी भी कहा जाता है। लेकिन भारत का ये प्रहरी खतरे में है। वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण होने वाला जलवायु परिवर्तन।
इस बड़े खतरे का खुलासा हुआ है एक रिसर्च से, जिसमें ये दावा किया गया है कि अगर भारत का तापमान 3 डिग्री और अधिक बढ़ा तो 90 फीसदी हिमालय सालभर के लिए सूख जाएगा। इस बात का दावा क्लाइमेटिक जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इसमें चेतावनी देते हुए कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर भारत के हिमालयी इलाकों पर पड़ेगा और इस कारण से पूरे उत्तर भारत में नदियां सूखने से पानी की किल्लत होगी और फसलें खराब होने लगेंगी।
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पेरिस जलवायु समझौते के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रहे तापमान को डेढ़ डिग्री सेल्सियस पर रोकना होगा, अगर यह 3 डिग्री पर पहुंचा तो अनर्थ कर देगा। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऑंग्लिया के रिसर्चर्स ने यह स्टडी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 80% भारतीय हीट स्ट्रोक का सामना कर रहे हैं। स्टडी के मुताबिक, 3-4 डिग्री तक तापमान बढ़ा तो भारत में पॉलिनेशन यानि परागकण में आधे की कमी आ जाएगी, इससे सबसे बुरा असर कृषि पर पड़ेगा। खेती वाले इलाकों का आधा हिस्सा सूख जाएगा।
डेढ़ डिग्री तापमान में आएगी तबाही
स्टडी के मुताबिक, जलवायु का असंतुलन बढ़ रहा है। तापमान अगर डेढ़ परसेंट भी बढ़ा तो भी तबाही आनी तय है। ऐसा होने पर भारत की 21 फीसदी जमीन और इथियोपिया की 61 प्रतिशत खेती योग्य जमीन सूख जाएगी।
प्राकृतिक आपदाओं से बचना असंभव
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऑंग्लिया की प्रोफेसर रैशेल वारेन का कहना है कि भारत को इस तरह के हादसों का सामना तो करना पड़ेगा। लेकिन अगर पेरिस एग्रीमेंट के समझौतों को तत्काल लागू किया जाता है तो उनकी धरती, पहाड़, जल, जंगल और जीव को बचाया जा सके। स्टडी में जलवायु परिवर्तन से खतरा केवल भारत को नहीं, यही स्थिति एशिया, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका की भी स्थिति है।
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