हल्द्वानी। बनभूलपुरा हिंसा में घायल हुए फोटो जर्नलिस्टस ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिनिधिमंडल को आपबीती सुनाई। उनका कहना था कि “उन्मादी हमे जान से मारना चाहते थे।” संघ के प्रान्त प्रचारक डॉ शैलेन्द्र जी और प्रान्त सह प्रचार प्रमुख संजय जी ने अमर उजाला के फोटो जर्नलिस्ट राजेंद्र बिष्ट बबली और अमृत विचार के फोटो जर्नलिस्ट संजय कनेरा की कुशल क्षेम जानने शुक्रवार को उनके घर पहुंचे।
बनभूलपुरा हिंसा में राजेंद्र बबली और कनेरा दोनों बुरी तरह घायल हुए हैं। संजय कनेरा बृजलाल हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती रहे। उनका बांया हाथ टूट गया है। बबली के भी सिर में कई टांके और शरीर में गंभीर चोटे हैं। दोनों के दो पहिया वाहन और कैमरे तोड़ दिए गए। मीडिया के दोनों साथियों ने संघ प्रतिनिधियों को विस्तार से आपबीती सुनाई। उनका कहना था कि सुनियोजित तरीके से हमला किया गया है। अतिक्रमण हटाने वाली टीम जब मलिक के बगीचे में पहुंची, तभी पथराव शुरू हो गया था। आसपास जमा भीड़ में बच्चे और महिलाएं अधिक थी।
जेसीबी ने जैसे ही नमाज स्थल और मदरसे के भवन को तोड़ना शुरू किया तभी चारों तरफ से पत्थरों कि बारिश होने लगी। इससे मैदान में मौजूद अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम पुलिस और मीडियाकर्मी बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे। उपद्रवियों ने मलिक के बगीचे कि तरफ आने वाले रास्तों को ब्लॉक कर दिया।
राजेंद्र बबली ने बताया कि वह और संजय कनेरा साथ थे। जैसे-तैसे मैदान से बाहर निकल तो आए, लेकिन वहां भी पथराव हो रहा था। इसी बीच भीड़ उन पर टूट पड़ी, बेरहमी से पीटने लगे। भीड़ दोनों को खींच कर अलग-अलग ले गई। पथराव से सिर फट गया खून भी रहा था, लेकिन हमला जारी था। आगजनी में भी हमें धकेलने कि कोशिश कि गई। उपद्रवी जान लेने पर आमादा थे।
संजय कनेरा का कहना था कि सिर में गंभीर चोटे आने कपड़े लहूलुहान हो गए। पूरे शरीर पर पत्थर लगने से बुरी तरह घायल हो गया था। बायां हाथ टूट गया। निढाल होकर नीचे गिर गया। एक युवक ने पेट से सटाकर तमंचे से फायर किया, लेकिन फायर मिस हो गया। फिर वह वहां से भाग गया। लहूलुहान हालत में बचते बचाते किसी तरह शनि बाजार स्थल तक पहुंचा।
भू-माफिया पर हो सख्त कार्रवाई
प्रान्त प्रचारक डॉ शैलेन्द्र जी का कहना है कि भू-माफियों से सख्ती से निपटने की जरूरत है। साथ ही वृहद स्तर पर अभियान चलाकर सत्यापन होना चाहिए। बारीकी से सत्यापन होना जरूरी है, ताकि असामाजिक तत्व शरण न ले सकें। उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।
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