हल्द्वानी। आठ फरवरी को बनभूलपुरा में हुआ बवाल को लेकर मीडिया के एक खास वर्ग में खासी बेचैनी देखी गई। उल्लेखनीय है कि बनभूलपुरा का सारा घटना क्रम, भू-माफिया हाजी अब्दुल मलिक के कब्जे में सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने को लेकर था। जब ये कार्रवाई हो चुकी थी उसके बाद जो हिंसा का प्रदर्शन हुआ वो पूर्व नियोजित था। पुलिस-प्रशासन की टीम पर हमला किया गया और आगजनी कर माहौल को बिगाड़ा गया। पुलिस को मजबूरी में गोली चलानी पड़ी और हालात को काबू में किया।
इस मामले में टूलकिट्स मीडिया ने इसको अलग-अलग रंग देने की कोशिश की। सबसे पहले दुबई से एक पत्र जमीयत उलूम ए हिंद के अध्यक्ष महमूद ए मदनी का सामने लाकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक उत्पीड़न का रंग देने की कोशिश की। जब ये हथियार नहीं चला, इसके अगले दिन बरेली से बरेलवी मुस्लिम नेता तौकीर रजा ने इसे यूसीसी से जोड़ते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की आलोचना की।
टूलकिट्स ने तुरंत इस मुद्दे को पकड़ा और कहा कि ये हल्द्वानी दंगा दरअसल समान नागरिक संहिता की प्रतिक्रिया की वजह से हुआ लोगों में गुब्बार है, इसे समझने की जरूरत है। अगले दिन फिर इस बवाल को वामपंथी पत्रकारों ने हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की, लेकिन उत्तराखंड सरकार के पक्ष ने इस पर अपना स्टैंड जारी रखा और इसे प्रशासन पर हमला बताया और हिंदू बाहुल्य क्षेत्र से कर्फ्यू हटा कर हालात सामान्य कर दिए। दिलचस्प बात ये थी, जहां जुमे की नमाज नहीं पढ़ी जाती वो मस्जिद कैसे हुई? मदरसे का कहीं पंजीकरण नहीं था, कोई रसीद, कोई मार्कशीट मदरसे की नहीं दिखा पाए, ऐसे में मदनी साहब का दावा भी फेल हो गया।
टूलकिट्स के हथियार जब फेल होने लगे तो नया शगूफा छोड़ा जाने लगा और मानव अधिकारों के हनन का मुद्दा सामने आने लगा कि वहां महिलाएं, बच्चे घरों में बंद हैं उन तक दूध, सब्जी नहीं पहुंच रही। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, जिसके जवाब में नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने स्पष्ट कर दिया और साक्ष्य भी दें दिए कि जरूरतमंदों को हर सुविधा पहुंचाई जा रही है। बीबीसी, द वायर, रवीश कुमार, अजीत अंजुम आदि के पोर्टल पर रिपोर्टिंग कुछ ऐसी थी जो कि असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटका रही थी।
रेलवे जमीन अतिक्रमण मामले में भी अब्दुल मलिक और वकील सलमान खुर्शीद बनभूलपुरा रेलवे जमीन मामला जोकि सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, 24 फरवरी इसमें तिथि लगी हुई है, इस मामले की पैरवी कोर्ट में कांग्रेस नेता और एडवोकेट सलमान खुर्शीद कर रहे हैं। 14 फरवरी को जब इस मामले की सुनवाई हुई तब भी सलमान खुर्शीद वर्चुअल रूप से पैरवी के लिए आए। खास बात ये कि दोनों मामलों में भू-माफिया अब्दुल मलिक की भूमिका सामने आती है। हाई कोर्ट ने अगली तारीख 6 हफ्ते बाद की दी है और प्रशासन की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगाई है। अब्दुल मलिक फिलहाल फरार है और उसके खिलाफ न्यायालय ने कुर्की के आदेश जारी कर दिए हैं।
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