तारा शाहदेव का मामला अभी हाल ही का है, जिसमें रंजीत उफ़ रकीबुल को उम्र कैद की सजा इसलिए सुनाई गयी थी क्योंकि उसने अपना मजहब छिपाकर राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा शाहदेव से शादी की थी और इस्लाम अपनाने के लिए तरह-तरह के अत्याचार किए थे। कुत्तों से कटवाया तक था, और रकीबुल और उसकी माँ दोनों को ही इस मामले में दोषी पाया गया था। यह एक ऐसा मामला है, जिसने इस जघन्य समस्या की ओर लोगों का ध्यान खींचा था और उसके बाद पिछले कुछ वर्षों में तो जैसे लव जिहाद की न जाने कितनी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ऐसा हो रहा है, ब्रिटेन में ग्रूमिंग जिहाद भी चल रह है और लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं। मगर भारत में जब लोग इस समस्या को पहचानकर कदम उठा रहे हैं और सरकारें ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कदम उठा रही हैं, उसी समय विमर्श के स्तर पर इसे नकारने का प्रयास किया जा रहा है। इसे राईट विंग की थ्योरी बताया जा रहा है।
पत्रकार श्रीनिवास की एक पुस्तक का विमोचन हाल ही में हुआ, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि यह राईट विंग्स की हर थ्योरी का जबाव है। हालांकि वह जिस विचारधारा के पत्रकार हैं, वह ऐसा कर सकते हैं, मगर लोगों को हैरानी हो रही है कि इसी पुस्तक के विमोचन में शशि थरूर कैसे जा सकते हैं? हालांकि वह भी जा ही सकते हैं क्योंकि वह भी उसी मानसिकता के ही हैं, जिसमें हर बात के लिए कथित राईट विंग को दोषी ठहराया जा सकता है और अदालती तथ्यों को अपनी विचारधारा के अनुसार सच या झूठ ठहराया जा सकता है।
मगर इसी बात को लेकर तारा शाहदेव ने उन्हें घेरा है। तारा शाहदेव ने उनसे प्रश्न किया है कि राजनीति के चक्कर में शशि थरूर जी आपने इंसानियत को बहुत पीछे छोड़ दिया है। न्याय के सैट नहीं खड़े हो सकते हैं तो कम से कम अन्याय का साथ मत दीजिये!
https://twitter.com/ShahdeoTara/status/1753493031767216234
इस कथित पुस्तक के विमोचन में शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी, वृंदा ग्रोवर (जुबैर की वकील), करण थापर और किताब के लेखक श्रीनिवास जैन शामिल थे। हालाँकि सोशल मीडिया पर यह भी पता चला कि इसमें दो और सह लेखिकाएं हैं, मरियम अल्वी और सुप्रिया शर्मा।
इस किताब में जो भी होगा, मगर इन घटनाओं के आंकड़े कितने भयावह हैं, यह आम लोगों को पता ही है। ऐसा कोई भी दिन नहीं जाता है, जिस दिन ऐसी किसी भी घटना का समाचार न आता हो। श्रद्धा वॉकर की लाश के टुकड़े कोई भी नहीं भूला होगा।
हालांकि वह लव जिहाद की श्रेणी में आएगा या नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसमें उसने अपना नाम नहीं छिपाया था। मगर तारा शाहदेव के मामले पर आया निर्णय तो हाल ही का है। जैसे ही इन्टरनेट पर यह सर्च किया जाता है कि धर्म बदलकर लड़की को फंसाया, वैसे ही न जाने कितने मामले सामने आ जाते हैं। जब इस किताब का विमोचन किया जा रहा होगा, उतने समय में भी एक दो मामले ऐसे हो गए होंगे।
2 फरवरी को ही मध्यप्रदेश के इंदौर से ऐसा मामला आया जिसमें एक पीड़िता ने आत्महत्या जैसा कदम उठाने का प्रयास किया। महिला बुटीक चलाती है और उसके तीन संतानें हैं। उसका कहना है कि लक्की बनकर उससे अब्लाल ने संपर्क किया था। वह घर किराए पर लेने आया था, मगर परिवार की जानकारी लेकर चला गया। फिर उसने कहा कि उसका कपड़े का काम है और फिर मुलाक़ात होने लगी।
पीड़िता का कहना है कि लक्की उर्फ़ अबलाल सांवेर के वेलकम होटल में लेकर गया। और फिर खाना खाने के बाद उसे चक्कर आया और फिर उसे लगने लगा कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। उसने घटना के बारे में किसी को नहीं बताया और फिर उसे अबलाल ने ब्लैकमेल करना शुरू किया कि उसके पास न्यूड वीडियो है। फिर वह शादी के लिए जब तैयार हुई तो पता चला कि उसका नाम अबलाल है। पीड़िता का कहना है कि अबलाल ने कहा कि “तेरे से संबंध बनाने से मुझे जन्नत नसीब होगी।“
जन्नत वाली बात कई पीड़िताओं ने कही है। रोज ही किसी न किसी तरह से लड़कियों और महिलाओं को फंसाने के मामले सामने आते हैं। क्या मेरठ का वह मामला कोई भूल सकता है जिसमें एक माँ और बेटी की हत्या करके शव को वहीं दफना दिया था। उसमें भी शमशाद ने हिन्दू नाम बताकर प्रिया को फंसाया था। जब प्रिया को पता चला था कि शमशाद का असली मजहब क्या है तो उसने विरोध किया था और फिर उसकी ही नहीं बल्कि उसकी बेटी की भी हत्या कर दी गयी थी।
ऐसे एक नहीं कई मामले हैं, जिनमें लड़कियों को हिन्दू बनकर फंसाया जाता है और फिर उनके साथ यौन सम्बन्ध बनाए जाते हैं और फिर ब्लैकमेलिंग का वह सिलसिला आरम्भ होता है, जिसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती है और उसके बाद शशि थरूर जैसे कथित बुद्धिजीवी किसी किताब के विमोचन में जाकर उन लड़कियों की पीड़ाओं पर अट्टाहास करते हैं!
यह ऐसे ही है जैसे गोधरा ट्रेन में जलकर मरने वालों के खिलाफ लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए यह रिपोर्ट लिखवाना कि आग दरअसल अन्दर से लगी थी और आग लगाने वालों का बचाव करना, जिन्हें बाद में न्यायालय की ओर से सजा सुनाई गयी, 26 नवम्बर को कसाब और साथियों द्वारा मुम्बई पर किए गए हमलों को आरएसएस का षड्यंत्र बताना और आज लव जिहाद से पीड़ित लड़कियों के घावों पर नमक छिड़कना कि ऐसा कुछ होता ही नहीं है, यह बताता है कि कथित कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट गठजोड़ में हिन्दुओं की पीड़ा पर नमक छिड़कना और उन्हें अपने पैरों से कुचलना ही विमर्श समझा जाता है।
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