रूस यूक्रेन के बीच बीते 2 साल से जारी युद्ध में यूक्रेन की सहायता के नाम पर एक बार फिर से यूरोपीय यूनियन के नेताओं ने इसे भड़काने का काम किया है। इसका एक और नजारा उस वक्त देखने को मिला जब यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के नेताओं ने करीब एक घंटे तक चले शिखर सम्मेलन में 50 बिलियन यूरो यानि करीब 54 बिलियन डॉलर की सहायता पैकेज देने के समझौते पर मुहर लगा दी। इस बात की जानकारी यूरोपीय यूनियन के एक अधिकारी ने दी है।
खास बात ये है कि हंगरी भी यूरोपीय यूनियन का सदस्य है और उसने इसका विरोध किया था, बावजूद इसके हंगरी के विरोध को दरकिनार कर ये फैसला लिया गया था। हंगरी ने इस मामले में वीटो लगाने की धमकी दी थी। इस बात की पुष्टि यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने एक्स पर की है। उन्होंने लिखा, “हमारे पास एक समझौता है। 27 नेता यूरोपीय संघ के बजट के भीतर यूक्रेन के लिए अतिरिक्त 50 बिलियन यूरो ($54 बिलियन) के समर्थन पैकेज पर सहमत हुए।”
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उल्लेखनीय है कि गुरुवार को शिखर सम्मेलन से पहले हंगरी ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि इसके लिए हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की मंजूरी हासिल करने के लिए कोई रियायत दी गई थी या नहीं। इस समझौते को लेकर चार्ल्स मिशेल ने कहा कि यह कदम यूक्रेन के लिए दृढ़, दीर्घकालिक, पूर्वानुमानित वित्त पोषण में तेजी को दिखाता है। इससे ये पता चलता है कि यूरोपीय यूनियन यूक्रेन की मदद करने के लिए नेतृत्व औऱ जिम्मेदारी ले रहा है। हमें पता है कि दांव पर क्या है।
हंगरी पर राजनीति करने का आरोप
इस बीच यूरोपीय यूनियन के नेताओं ने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन पर राजनीति करने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। पश्चिमी देशों का कहना है कि हंगरी की इस हरकत से यूक्रेन के प्रति समर्थन कमजोर पड़ रहा है। हंगरी की राष्ट्रवादी सरकार यूक्रेन के लिए वित्तीय सहायता को रोक रही है। गौरतलब है कि हंगरी युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद से ही अमेरिका समेत पश्चिंमी देशों पर इलाके में युद्ध भड़काने का आरोप लगाता रहा है।
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