अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब लखनऊ विश्वविद्यालय ने सनातन धर्म को लेकर बड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय में सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हिन्दू स्टडीज सेंटर बनाने का ऐलान किया गया है। इसको लेकर कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने कहा, “जब इस्लामिक अध्ययन के लिए संस्थान हैं, तो हिंदू अध्ययन केंद्र क्यों नहीं है।”
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नए सत्र से शोध पीठ स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसके तहत हिंदू अध्ययन में एमए पाठ्यक्रम हो। सनातन वैदिक संस्कृति पर एक पेपर को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के साथ एकीकृत किया जाएगा। राय ने कहा कि प्रस्तावित पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति-2020 के तहत लाया गया है। इसके साथ ही यूजीसी नेट ने भी हिन्दू स्टडीज को 82वें सब्जेक्ट के तौर पर अपनी लिस्ट में जोड़ा है। बस अब विश्वविद्यालय को इसके लिए पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्चा विकसित करना है और बाकी के शिक्षा निकायों से इसका अनुमोदन कराना बाकी है।
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विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि इस मामले को लेकर उन्होंने आचार्य अभिषेक ब्रम्हचारी महाराज के साथ बातचीत की है। उन्होंने कई सारी किताबें लिखी हैं, जिसमें उन्होंने वेदों का वैज्ञानिक आधार स्थापित करने का प्रयास किया है। आचार्य अभिषेक का कहना था कि जिस तरीके से दूसरे विश्वविद्यालयों अन्य पंथों से जुड़ी पढ़ाई होती है, उसी तरह एलयू में भी एक हिन्दू अध्ययन स्टडीज शुरू की जानी चाहिए। इसके लिए काफी वक्त से कोशिशें की जा रही हैं।
हालांकि, एलयू के अधिकारियों ने किसी भी पाठ्यक्रमों के भगवाकरण से इनकार किया है। अधिकारियों का कहना है कि यूजीसी के राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क पर अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक, अब छात्र वेदों समेत भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में अपनी विशेषज्ञता से क्रेडिट ले सकते हैं।
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