6 दिसंबर, 1992 की कारसेवा के दौरान भी विजयाराजे अयोध्या में ही थीं और उन्होंने रामकथा कुंज के मंच से कारसेवकों को संबोधित करते हुए भी कहा था कि उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ बलिदान’ के लिए तैयार रहना चाहिए। बाबरी ध्वंस के मामले में उनपर भी मुकदमा चला।
भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक राजमाता विजयाराजे सिंधिया का राम जन्मभूमि आंदोलन से गहरा नाता था। उन्होंने ही सबसे पहले भाजपा कार्यसमिति में राम मंदिर का प्रस्ताव रखा था। वैसे तो भाजपा सैद्धांतिक रूप से सदैव राम मंदिर के पक्ष में रही और इसके लिए हो रहे आंदोलन को भारत भूमि के स्वाभिमान से जोड़कर देखती रही, लेकिन राजमाता के प्रस्ताव के बाद उसने इसे अपनी राजनीतिक कार्य-योजना में शामिल किया। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा की रूपरेखा तय की गई।
1919 को मध्य प्रदेश के सागर में जन्मीं विजयाराजे के पिता अंग्रेजों के समय में डिप्टी कलेक्टर हुआ करते थे। उनका विवाह ग्वालियर राजघराने के महाराज जीवाजी राव सिंधिया से हुआ। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा कांग्रेस के साथ शुरू की। 1967 में वह जनसंघ में शामिल हुईं। जितनी बार चुनाव लड़ीं, जीतीं। उन्होंने 1957, 1962, 1989, 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव जीता।
राम मंदिर आंदोलन में राजमाता अग्रिम पंक्ति के नेताओं में थीं। नवंबर 1992 में पटना की एक जनसभा में विजयाराजे ने दो टूक कहा था कि बाबरी को ध्वस्त होना ही होगा। 6 दिसंबर, 1992 की कारसेवा के दौरान भी विजयाराजे अयोध्या में ही थीं और उन्होंने रामकथा कुंज के मंच से कारसेवकों को संबोधित करते हुए भी कहा था कि उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ बलिदान’ के लिए तैयार रहना चाहिए। बाबरी ध्वंस के मामले में उनपर भी मुकदमा चला।
टिप्पणियाँ