प्रभु जी के आभूषण : रामकृपा से 70 कारीगरों की मेहनत रंग लाई, 14 दिन में पूरा करके दिखाया काम
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प्रभु जी के आभूषण : रामकृपा से 70 कारीगरों की मेहनत रंग लाई, 14 दिन में पूरा करके दिखाया काम

श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट ने बरेली की फर्म को सौंपा था कार्य, ठीक समय पर गढ़ लिए गए कौशल्‍या नंदन के सभी आभूषण  

by अनुरोध भारद्वाज
Jan 23, 2024, 01:23 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
प्रभु जी के आभूषण : रामकृपा से 70 कारीगरों की मेहनत रंग लाई, 14 दिन में पूरा करके दिखाया काम
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बरेली। अति शुभ मुहूर्त में अयोध्‍या धाम के गर्भग्रह में विराजे भगवान रामलला के अचल‍ विग्रह का श्रंगार आभूषणों से करने वाले करीगरों की टीम पर विशेष रामकृपा बरसी है। कारीगरों की यह टीम बरेली की है, जहां दिन-रात एक करके मात्र 14 दिन में कौशल्‍या नंदन के श्रंगार को आभूषण गढ़े गए। सभी आभूषण सोना, हीरा, पन्‍ना, माणिक्‍य से तैयार किए गए हैं। श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट ने यह जिम्‍मेदारी हरसहायमल-श्‍यामलाल ज्‍वेलर्स को सौंपी थी, जो मूलत: बरेली की फर्म है।

भगवान राम के बाल रूप को अलौकिक बनाने के लिए उन्‍हें मुकुट, कुंडल, कंठा, कौस्‍तुभमणि, पदिक, धनुष-वाण, वनमाला, चरण, प्रभा मंडल, विजय हार, करधनी, बाजूबंध, कंगल और मुद्रिका से अलंकृत किया गया है। हरसहायमल-श्‍यामलाल ज्‍वेलर्स के निदेशक मोहित आनंद के मुताबिक, लखनऊ शोरूम की जिम्‍मेदारी संभाल रहे उनके भाई अंकुर आनंद के पास श्रीराम मंदिर ट्रस्‍ट से फोन आया था। ट्रस्‍ट ने 14 दिन में यानी 16 जनवरी तक रामलला के आभूषण तैयार करने की जिम्‍मेदारी फर्म सौंपी थी। इसके बाद दोनों भाई 70 कारीगरों की टीम आभूषण बनाने के काम में जुट गए।

इतने कम समय में सभी आभूषण तैयार करना आसान नहीं था, तो इसके लिए दिन-रात काम शुरू किया गया। प्रभु के आभूषणों में क्‍या प्रतीक होंगे, कौन से रत्‍न जड़े जाएंगे, कितनी लंबाई, चौड़ाई और वजन होगा? यह सब ट्रस्‍ट के मार्गदर्शन में किया गया। आभूषणों का निर्माण अध्‍यात्‍म रामायण, वाल्‍मीकि रामायण, श्रीरामचरित मानस और आलवंदार स्‍त्रोत के अध्‍ययन व उनमें वर्णित श्रीराम के शास्‍त्र सम्‍मत शोभा के अनुरूप शोध के बाद किया गया। उत्‍तर भारतीय परंपरा में स्‍वर्ण निर्मित मुकुट माणिक्‍य, पन्‍ना, हीरों से अलंकृत किया गया। कारीगरों की टीम पर प्रभु श्रीराम की कृपा बरसी और कड़ी मेहनत के बाद उन्‍होंने अपना काम पूरा करके दिखाया। 6 जनवरी को फर्म ने सभी आभूषण ट्रस्‍ट को सौंप दिए।

रामलला की मूर्ति के नेत्र गढ़ने के लिए सोने की छेनी और चांदी की हथौड़ी का प्रयोग किया गया। विग्रह का श्रृंगार तिलक, मुकुट, धनुष, तीर, छोटा हार, पंचलड़ा, विजय हार, करधनी, बाजूबंद, दोनों हाथ और पांव के कड़े, नूपुर, पायल, मुद्रिका, कमल की बेल से हुआ है। भगवान राम के लिए गले का हार भी बना है। फर्म के डायरेक्‍टर मोहित आनंद कहते हैं कि प्रभु को अर्पण के साथ आभूषण अनमोल हो गए। प्रमुख आभूषणों में रामलला को पहनाई गई विजयमाला का वजन दो किलोग्राम है। 17 सौ ग्राम का मुकुट, 16 ग्राम का तिलक, 65 ग्राम की मुद्रिका, 500 ग्राम का कंठ हार, 660 ग्राम का पंचलड़ा, 750 ग्राम की करधनी, 850 ग्राम के हाथ के कड़े और पैर के कड़े का बजन 560 ग्राम है।

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