अयोध्या में राम मंदिर की बात जब भी चलेगी, कल्याण सिंह के बिना पूरी नहीं होगी। 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी का विध्वंस हुआ, कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
दो साल पहले कारसेवकों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाने वाले तबके मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से एकदम भिन्न! बाबरी ध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस मामले में उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मैंने पुलिस को राम भक्तों पर गोली नहीं चलाने का आदेश दिया था। इसके कारण बाबरी ढांचा गिरा, मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।’
अयोध्या आंदोलन से जुड़े साधु-संतों में कल्याण बड़े लोकप्रिय थे और लोगों को उनसे बड़ी अपेक्षा थी। अपेक्षा कैसी थी, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें अयोध्या जाकर मंत्रिमंडल के साथ राम मंदिर बनाने की शपथ लेनी थी।
5 जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे कल्याण दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 1991 और दूसरी बार 1997 में। बाद में वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
बाबरी ध्वंस के पहले से ही अयोध्या आंदोलन से जुड़े साधु-संतों में कल्याण बड़े लोकप्रिय थे और लोगों को उनसे बड़ी अपेक्षा थी। अपेक्षा कैसी थी, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें अयोध्या जाकर मंत्रिमंडल के साथ राम मंदिर बनाने की शपथ लेनी थी।
सुबह 7 बजे लखनऊ से चले कल्याण को अयोध्या पहुंचने में 5 बज गए। रास्ते भर लोग उनके स्वागत के लिए पहले से ही जमा थे। अंतत: शाम 7 बजे वह जनसभा को संबोधित कर सके। यदि कल्याण ने सुरक्षा बलों को गोलियां चलाने से नहीं रोका होता तो परिणाम क्या होता, अनुमान लगाना कठिन है।
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