भारत एक ड्रोन क्रांति की कगार पर है जो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आकार देगी, बल्कि यह अनगिनत लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने और उन्हें बेहतर बनाने की क्षमता भी रखती है
एक दशक पहले तक यह विचार कि ड्रोन अगले दस वर्ष के भीतर दुनिया के कृषि उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएंगे, अकल्पनीय लगता था। हालांकि, अब यह हकीकत है। इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि भारत जैसे देशों में ड्रोन में रुचि बढ़ रही है, जो मूलत: पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर आधारित रहे हैं। ड्रोन विभिन्न कारणों से सुर्खियां बटोर रहे हैं, जिनमें भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में क्रांति लाने की उनकी क्षमता भी शामिल है। वे कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाने और विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के एकदम नई किस्म के अवसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं, जिसे कुछ साल पहले लगभग असंभव माना जाता था।
भारत सरकार देश भर में ड्रोन संस्कृति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है और इस क्षेत्र में लागत घटाने, बेहतर प्रबंधन क्षमता और बहुउद्देशीय कार्यक्षमता तक उल्लेखनीय नवाचार देखने को मिल रहे हैं। भारत एक ड्रोन क्रांति की कगार पर है, जो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आकार देगी, बल्कि यह अनगिनत लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने और उन्हें बेहतर बनाने की क्षमता भी रखती है।
भारत में अगस्त 2021 और फरवरी 2022 के बीच ड्रोन या यूएवी स्टार्टअप की संख्या में 34.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह तथ्य दिखाता है कि हमारे यहां भी परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। कृषि गतिविधियों में ड्रोन को नियोजित करने के वैश्विक उत्साह को देखते हुए भारत ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है। चूंकि कम लागत के ये मानवरहित हवाई वाहन भारतीय कृषि में मौजूद विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों का समाधान करने का सामर्थ्य रखते हैं।
कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग करने वाले कई देशों के दिलचस्प उदाहरण हैं। अफ्रीका में मोजाम्बिक में छोटे किसानों और मोरक्को में कृषि व्यवसाय को समर्थन देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। जापान ने चावल किसानों की उपज को अधिकतम स्तर तक ले जाने के लिए कृषि ड्रोन की सहायता ली है। वहां के वैज्ञानिकों ने मधुमक्खियों की नकल करते हुए फूलों को परागित करने में सक्षम कीट के आकार के ड्रोन भी विकसित किए हैं।
यूरोप में स्पेन कृषि में ड्रोन का उपयोग करने में सबसे आगे है, जहां फसल की निगरानी से लेकर सटीक खेती तक की गतिविधियों में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह, चीन और इंडोनेशिया कृषि के लिए ड्रोन के प्रयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। मलेशिया, सिंगापुर और आॅस्ट्रेलिया ने ड्रोन के उपयोग के संबंध में कानून लागू किए हैं। भारत भी कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में ड्रोन शक्ति का लाभ उठाने की विशाल क्षमता वाले देश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र में ड्रोन का लगभग सात अरब अमेरिकी डॉलर के योगदान का अनुमान है। यह आशावादी दृष्टिकोण दुनिया भर के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं रखता है। हालांकि इसे अपनाने में अलग-अलग देशों की दिलचस्पी अलग-अलग स्तर पर है। संयुक्त राज्य अमेरिका में आश्चर्यजनक रूप से 84 प्रतिशत किसान दैनिक या साप्ताहिक आधार पर ड्रोन का उपयोग करते हैं, लगभग 73 प्रतिशत उन्हें फसल की निगरानी के लिए और 43 प्रतिशत मिट्टी और माहौल के विश्लेषण के लिए प्रयोग करते हैं। इसके विपरीत, भारत जैसे विकासशील देशों में ड्रोन के उपयोग की दर काफी कम रही है, जो अब गति पकड़ रही है।
जून 2023 तक, भारत में 333 ड्रोन स्टार्टअप पंजीकृत थे। यह संख्या उससे पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है, क्योंकि भारत में अगस्त 2021 और फरवरी 2022 के बीच ड्रोन या यूएवी स्टार्टअप की संख्या में 34.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह तथ्य दिखाता है कि हमारे यहां भी परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। कृषि गतिविधियों में ड्रोन को नियोजित करने के वैश्विक उत्साह को देखते हुए भारत ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है। चूंकि कम लागत के ये मानवरहित हवाई वाहन भारतीय कृषि में मौजूद विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों का समाधान करने का सामर्थ्य रखते हैं।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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