भारत के ब्रिटेन के साथ रक्षा और रणनीतिक सहयोग में नई इबारत लिखी जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लंदन में हैं और वहां अपने समकक्ष से उनकी जो बातें हुई हैं उससे एक चीज तो तय है कि भारत के रक्षा क्षेत्र में किए जा रहे विशेष काम की सराहना अब पूरे विश्व तक पहुंच चुकी है। दुनिया के अनेक देश इस क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करना चाहते हैं। भारत ने राजनाथ इस दौरे के दौरान भी रक्षा और रणनीति में सहयोग के अनेक आयाम खंगाले हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ग्रांट शाप्स के बीच द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने न सिर्फ आपसी विचारों को सकारात्मक तरीके से जाना—समझा बल्कि रक्षा, सुरक्षा तथा सहयोग के अनेक आयामों पर बात की। रक्षा उद्योग के मामले पर विशेष गौर करते हुए इस क्षेत्र में सहयोग में बढ़ोतरी करने की बात हुई। शाप्स ने इस बात पर बल दिया कि भारत तथा यूके के आसी संबंध प्रोफेशनल न होकर कई समानताओं तथा साझा लक्ष्यों वाले हैं इसलिए दोनों सहज भागीदार भी हैं। इस चर्चा में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहले से बने रणनीतिक सहयोग को विस्तार देने पर खास ध्यान दिया गया।
भारत तथा यूके के बीच दो करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनमें पहला है द्विपक्षीय इंटरनेशनल कैडेट एक्सचेंज कार्यक्रम का संचालन। दूसरा है, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और यूके की डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेटरी (डीएसटीएल) में अनुसंधान एवं विकास में रक्षा सहयोग को लेकर एक व्यवस्था का तय होना।
यहां भारत के रक्षा मंत्रालय ने दोनों नेताओं की चर्चा की विस्तार से जानकारी दी। बताया गया है कि द्विपक्षीय रक्षा बैठक के उपरांत भारत तथा यूके के बीच दो करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनमें पहला है द्विपक्षीय इंटरनेशनल कैडेट एक्सचेंज कार्यक्रम का संचालन। दूसरा है, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और यूके की डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेटरी (डीएसटीएल) में अनुसंधान एवं विकास में रक्षा सहयोग को लेकर एक व्यवस्था का तय होना। ये करार दोनों देशों के युवाओं के विशेष तौर पर आदान-प्रदान में सहयोगी होंगे तथा साथ ही रक्षा अनुसंधान में सहयोग को और व्यापक बनाएंगे।
इस यात्रा की शुरुआत राजनाथ सिंह ने लंदन में टेविस्टॉक चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करने के साथ की। महात्मा गांधी ने 1888 से 1891 के बीच लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में लॉ की पढ़ाई की थी, जो इस चौक के पास ही है।
9 जनवरी को हर साल भारत में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस तारीख का महत्व इसलिए है क्योंकि 1915 में 9 जनवरी को ही महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से मुंबई वापसी की थी। इसलिए उस आगमन की याद में भारत में 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।
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