तब्लीगी जमात के परिचय पर जाना जरूरी है। ग्लासगो हवाईअड्डे पर विफल बम हमले के लिए गिरफ्तार कफील अहमद, शहजाद तनवीर और मोहम्मद सिद्दीक खान तब्लीगी आंदोलन के जाने माने नियमित सदस्य थे। मोहम्मद सिद्दीकी खान 7 जुलाई 2005 के लंदन बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिसमें लंदन की तीन भूमिगत ट्रेनों और मध्य लंदन में एक बस में बम विस्फोट किए गए थे।
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभालने के एक हफ्ते बाद ही तब्लीगी जमात को सुबाई दीनी इज्तेमा आयोजित करने के लिए 2,45,93,847 करोड़ रुपये के प्रावधान को मंजूरी दे दी है। यह सुबाई दीनी इज्तेमा 6 से 8 जनवरी 2024 तक विकाराबाद जिले के पारगी मंडल के नेमतनगर गांव में आयोजित किया जाना है।
इस फैसले की समीक्षा से पहले तब्लीगी जमात के परिचय पर जाना जरूरी है। ग्लासगो हवाईअड्डे पर विफल बम हमले के लिए गिरफ्तार कफील अहमद, शहजाद तनवीर और मोहम्मद सिद्दीक खान तब्लीगी आंदोलन के जाने माने नियमित सदस्य थे। मोहम्मद सिद्दीकी खान 7 जुलाई 2005 के लंदन बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिसमें लंदन की तीन भूमिगत ट्रेनों और मध्य लंदन में एक बस में बम विस्फोट किए गए थे।
आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अधिकांश यूरोपीय मुसलमान तब्लीगी जमात द्वारा कन्वर्ट कराए गए पाए गए हैं। फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार लगभग 80% आतंकी सहयोगी तब्लीगी जमात से जुड़े पाए गए हैं। सऊदी अरब ने दिसंबर 2021 में तब्लीगी जमात को गैरकानूनी घोषित किया था। तब्लीगी जमात को 2013 में कजाकिस्तान में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। इसके अलावा, ईरान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान ने तब्लीगी जमात पर रोक लगा दी थी।
अपने देश में, ठीक एक वर्ष पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अदालत में दायर की गई चार्जशीट के अनुसार, “तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों” ने महाराष्ट्र के अमरावती के उमेश कोल्हे नामक फार्मासिस्ट की हत्या की थी। इस हत्या के परिणामस्वरूप विभिन्न स्थानों पर दंगे भड़क उठे थे, लोगों को अपनी नौकरियां छोड़ने के लिए आतंकित किया गया और कई लोगों को छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा और कई लोगों को अपनी जान और सुरक्षा का डर सताने लगा।
देश में चीनी कोरोना वायरस ज्यादा से ज्यादा फैलाने की कोशिश में तब्लीगी जमात की भूमिका सभी जानते हैं। उसके कुछ नेता तभी से आज तक फरार हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि तीन वर्ष पहले दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात की सभा में शामिल होने के बाद तेलंगाना के छह लोगों की मौत हो गई थी।
बहरहाल, इस तब्लीगी जमात के लिए तेलंगाना की कांग्रेस सरकार के मन में भारी ममता उमड़ पड़ी है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने दीनी इज्तेमा के लिए 2,45,93,847 करोड़ रुपये का इंतजाम विभिन्न विभागों के फंड से पैसे लेकर किया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने इसे अपनी सरकार की एक ‘बड़ी उपलब्धि’ कह कर प्रचारित किया है। यह इस लिहाज से कांग्रेस सरकार की ‘बड़ी उपलब्धि’ अवश्य हो सकती है कि उसने यह काम सत्ता संभालने के एक सप्ताह के भीतर कर डाला है। लेकिन तुष्टिकरण की इस अंधी दौड़ में अभी वह के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार से काफी पीछे हैं।
जब बीआरएस सत्ता में थी, तब विकाराबाद के जिला कलेक्टर ने इसके लिए लगभग 7 करोड़ रुपये की मांग की थी और प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा था। इतने में सरकार बदल गई और तब्लीगी जमात को करोड़ों की सौगात देने का सवाब कांग्रेस सरकार के हाथ लग गया। हालांकि कांग्रेस सरकार का यह भी दावा है कि राज्य सरकार दिवालिया है।
तब्लीगी जमात के इस कार्यक्रम का समय बहुत संदिग्ध है। सभाओं और बैठकों के नाम पर तब्लीगी जमात का तेलंगाना में प्रवेश कई संदेहों को जन्म दे रहा है। यह कार्यक्रम उस समय किया जा रहा है, जब भारत में कोरोना वायरस एक नया वेरिएंट फिर से फैल रहा है।
प्रश्न यह कि इस्लामी कट्टरपंथ फैलाने और जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले संगठन को सरकार द्वारा धन मुहैया कराने के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है? प्रेक्षकों का कहना है कि चूंकि मुस्लिम वोटों के एकजुट होने के कारण ही कांग्रेस सत्ता में आ सकी है, इसी कारण उसने खस्ताहाल होने के बावजूद इतनी तेजी से तब्लीगी जमात के लिए पैसों की व्यवस्था की है।
लेकिन वास्तव में मास्टरमाइंड की तलाश करने की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। तब्लीगी जमात की खिदमत करने का श्रेय लेने के लिए पारिगी कांग्रेस विधायक टी. राममोहन रेड्डी आगे आए, और उन्होंने घोषणा की कि इतनी तेजी से नकदी हासिल उनके बूते हुई है, क्योंकि उन्होंने ही इसके लिए मुख्यमंत्री रेवन रेड्डी से बात की थी। पैसा जारी होने की बात राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण सचिव सैयद उमर जलील के एक निर्देश में है, जिसमें यह भी कहा गया है कि तब्लीगी जमात के दीनी इज्तेमा के लिए कई विभागों से पैसे निकालने की मंजूरी दी गई।
अल्पसंख्यक कल्याण सचिव सैयद उमर जलील भी अपने आप में एक जाना-पहचाना नाम हैं। आईएएस अधिकारी और विकाराबाद के पूर्व जिला कलेक्टर सैयद उमर जलील को 2019 में सात महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था। उन्हें यह अनुशासनात्मक दंड इसलिए दिया गया था, क्योंकि उन्होंने स्ट्रांग रूम में रखे सीलबंद 122 ईवीएम और वीवीपीएटी को खोलकर चुनाव आयोग के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया था। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उन्होंने यह काम तब किया था, जब विकाराबाद विधानसभा चुनाव पर एक याचिका अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है और निर्णय आना अभी बाकी है।
‘कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। अगर भविष्य में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती है, तो कांग्रेस हर जिले को तब्लीगी जमात के हाथों में दे देगी और देश में आतंकवाद बढ़ जाएगा,’ -राजा सिंह
बहरहाल सात महीने के निलंबन के बाद उन्हें इंटरमीडिएट शिक्षा आयुक्त और इंटरमीडिएट बोर्ड का सचिव बनाया गया था। बाद में उन्होंने सितंबर 2022 में अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की। एक बड़ा खेल यह हुआ, जब बीआरएस सरकार ने उन्हें जुलाई 2022 में एक बार फिर एक प्रमुख पद पर पदोन्नत कर दिया। इसके जरिए उन्हें दो साल का कार्यकाल मिल गया और बीआरएस सरकार ने उन्हें तेलंगाना अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का सचिव और आयुक्त बना दिया।
भाजपा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव बंडी संजय कुमार ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई तेलंगाना सरकार पर ‘धर्मनिरपेक्षता की आड़ में अक्षम्य अपराध’ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्य से तब्लीगी जमात मण्डली के लिए अपनी फंडिंग रद्द करने और मंजूरी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से जानना चाहा कि किस आधार पर कार्यक्रम के लिए धनराशि स्वीकृत की गई। राजा सिंह ने कहा कि ‘कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। अगर भविष्य में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती है, तो कांग्रेस हर जिले को तब्लीगी जमात के हाथों में दे देगी और देश में आतंकवाद बढ़ जाएगा,’ सिंह ने सीएम से सरकार के आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया है।
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