विद्वानों का कहना था कि ‘स्व’ के आत्मबोध से ही भारत विश्व गुरु बनेगा, क्योंकि भारत का ‘स्व’ ही विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
गत दिसंबर तक ग्रेटर नोएडा में ‘स्व: भारत का आत्मबोध’ विषय पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। प्रत्येक दिन अलग-अलग विषयों पर सत्र हुए, जिन्हें देशभर से आए विद्वानों ने संबोधित किया। प्रेरणा विमर्श-2023 के अंतर्गत हुई.
हमें सोशल मीडिया पर कोई भी बात लिखने से पहले यह जांच कर लेनी चाहिए कि वह सही है या गलत। जब तक हमें ‘स्व’ का बोध नहीं होगा तब तक हम देशहित में सोशल मीडिया का सही से उपयोग नहीं कर पाएंगे। स्व का बोध होने के लिए हमें अपने धार्मिक ग्रंथ और पुस्तकों को पढ़ना होगा। – जे. नंद कुमार , प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक
इस गोष्ठी में शामिल विचारकों और विद्वानों का कहना था कि ‘स्व’ के आत्मबोध से ही भारत विश्व गुरु बनेगा, क्योंकि भारत का ‘स्व’ ही विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। ‘स्व’ का आत्मबोध नहीं होने के कारण ही भारत को आक्रांताओं और अंग्रेजों ने आपस में लड़ाया और खंड-खंड कर भारत पर वर्षों तक शासन किया।
समापन समारोह में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंद कुमार ने कहा कि हमें सोशल मीडिया पर कोई भी बात लिखने से पहले यह जांच कर लेनी चाहिए कि वह सही है या गलत। जब तक हमें ‘स्व’ का बोध नहीं होगा तब तक हम देशहित में सोशल मीडिया का सही से उपयोग नहीं कर पाएंगे। स्व का बोध होने के लिए हमें अपने धार्मिक ग्रंथ और पुस्तकों को पढ़ना होगा।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि बुद्धि को संयमित रखना ही आत्मबोध है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि ज्ञान, विज्ञान के ऊपर प्रज्ञा है। समापन समारोह में बड़ी संख्या में आमजन भी उपस्थित रहे।
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