नई दिल्ली। लोकसभा ने आज जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित हुए। इन बिलों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ‘पाकिस्तान अधिकांत कश्मीर (Pok) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वजह से हुई है, पूरा कश्मीर हाथ आए बिना सीजफायर कर लिया था वरना वह हिस्सा कश्मीर का होता।
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के दो निर्णयों को उनकी ऐतिहासिक गलती बताई और इनके लिए उन्होंने अंग्रेजी के बलंडर शब्द का प्रयोग किया। इस शब्द पर विपक्ष ने अपनी आपत्ति जताई और कुछ सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। गृहमंत्री ने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री नेहरू ने इन्हें अपनी गलती कहते हुए स्वीकार किया है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत की ओर से 1947 की लड़ाई के दौरान संघर्ष विराम की घोषणा समय से पहले थी। ऐसा नहीं किया गया होता तो पाक अधिकृत कश्मीर इस समय भारत में होता। साथ ही नेहरू जी को इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र नहीं लेकर जाना चाहिए था। अगर जाना चाहिए था भी तो चार्टर 35 की जगह 51 के तहत जाना चाहिए था।
अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है। जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। अधिनियम अनुसूचित जाति जातियां, अनुसूचित जनजातियां और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया था। इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह सीटें आरक्षित की गईं थी। अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। वर्तमान विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई है। यह अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित करता है।
विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित कर सकते हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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