उत्तर प्रदेश के मदरसों में हो रही फंडिंग की जांच के लिए कुछ समय पहले एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी को मदरसों की फंडिंग के बारे में जानकारी हाथ लगी है। एसआईटी को इस बात की जानकारी मिली है कि इनमें से करीब 108 मदरसों को विदेशों से फंडिंग की जा रही है। शासन ने कुछ दिन पहले अपर पुलिस महानिदेशक (एटीएस) को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इन लोगों को सऊदी अरब नेपाल, बांग्लादेश एवं अन्य देशों से फंडिंग की जाती है। इन देशों से रुपया पहले मुंबई, चेन्नई या कोलकाता जैसे शहरों में आता है। उसके बाद इन लोगों तक पहुंचता है। हालांकि मदरसा संचालकों का कहना है कि मदरसे चंदे और जकात से चल रहे हैं।
वर्ष 2022 के नवंबर माह में उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के मदरसों का सर्वे किया गया था। उस समय कुल 8,496 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले थे। मदरसों में छात्र-छात्राओं की स्थिति के बारे में सर्वे किया गया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के अनुसार सर्वे में देखा गया था कि मदरसों में बुनियादी सुविधा उपलब्ध है या नहीं। प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पाठ्यक्रम को भी खंगाला गया था। मदरसा का संचालन करने वाले का नाम, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है, मदरसे में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या कितनी है, पेयजल, कुर्सी – मेज, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था का भी सर्वे किया गया था। मदरसे में शिक्षकों की संख्या और किस स्रोत से मदरसे में आय हो रही है। इस बिंदु पर भी सर्वे किया गया था।
अल्पसंख्यक मंत्री धर्मपाल सिंह ने उस समय कहा था कि सरकार की मंशा है कि अल्पसंख्यक बच्चे भी बेहतर शिक्षा ग्रहण करें। उन बच्चों को आधुनिक शिक्षा दी जाएगी। अब भी काफी मदरसों में विदेशों से फंडिंग की जाती है। अल्पसंख्यक बच्चों की गरीबी का लाभ उठाकर उन लोगों को बाहर ले जाया जाता है। संदिग्ध गतिविधियों में बच्चों को लगा दिया जाता है। कई मदरसों में विदेशी फंडिंग की बात सामने आई है। पुलिस के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी यह प्रकरण है। जल्द ही ऐसे मदरसों पर कार्रवाई की जाएगी।
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