पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 27 साल पहले जिस सियासी दल की बुनियाद डाली थी और अब जिसके निजाम रहे थे, अब उसी दल की कमान दूसरे के हाथ दी गई है। बैरिस्टर गौहर खान अब इमरान खान की जगह पार्टी के कमान थाम चुके हैं। इमरान खान विभिन्न अपराधों के लिए जेल भुगत रहे हैं और फिलहाल उनकी बनाई पीटीआई पार्टी डावांडोल सी हालात के थपेड़े खा रही है।
हालांकि गौहर खान इमरान के विश्वासपात्र और बेहद करीबी माने जाते हैं, लेकिन अदालतों के चक्कर काटते पीटीआई नेताओं की पार्टी आगामी चुनावों में क्या कर पाएगी, इसे लेकर तमात तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी की इतनी ज्यादा फजीहत हो चुकी है कि उसका कुछेक स्थानों को छोड़कर प्रदर्शन संतोषजनक भी नहीं रहने वाला है, जबकि कुछ का मानना है कि इमरान को जेल होने की वजह से पार्टी संवेदनाओं के बूते पहले से ज्यादा वोट बटोर सकती है।
इधर पार्टी के नए निजाम गौहर खान को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है। वैसे गौहर खान जेल में बंद इमरान खान के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और उनसे जेल में मिलने जाते रहे हैं। यह वही गौहर हैं जो एक बड़े वकील के नाते अदालतों में इमरान खान तथा पीटीआई के मुकदमे लड़ते रहे हैं। गौहर सबमें स्वीकार्य माने जाते हैं क्योंकि बोलने में नरमाई और बर्ताव में खुलापन रखते हैं।
आगे का समय गौहर के लिए इम्तिहान का समय है। अदालत के आदेश के तहत पाकिस्तान में फरवरी 2024 में आम चुनाव कराए जाने हैं। इन चुनावों में इमरान के सामने न होने पर, उनकी पार्टी पीटीआई गौहर जैसे राजनीतिक रूप से कम अनुभवी नेता की अगुआई में कैसा प्रदर्शन करेगी, उसे लेकर संशय ज्यादा है, भरोसा कम।
पीटीआई यानी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नए चेयरमैन गौहर दो दिन पहले बिना किसी विरोध के चुने गए बताए गए हैं। इमरान खान के हाथ से कमान उनके हाथ में दी तो गई है, लेकिन पीटीआई को इमरान की क्रिकेट की वजह से जो ख्याति रही है, उसका देश—विदेश में लाभ मिलता रहा है। इमरान ने साल 1996 में पीटीआई की बुनियाद डाली थी और तबसे वे ही इसके सर्वेसर्वा रहे थे। विभिन्न मुकदमों में फंसे होने और इस वजह से उनके जेल में होने को देखते हुए गौहर को आगे लाने का फैसला तो किया गया है लेकिन इससे इमरान अंदर से खुश तो नहीं ही हैं।
पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन ने रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान चुनाव आयोग के आदेश के तहत जरूरी हो गया था कि पीटीआई पार्टी के स्तर पर चुनाव करा ले अन्यथा उसका चुनाव चिन्ह छिन जाने का खतरा था। पार्टी अध्यक्ष के इस ‘चुनाव’ में इमरान जेल में होने की वजह से भाग नहीं ले पाए। लेकिन बताते हैं, गौहर अली खान के नाम पर उनकी सहमति बनी थी। पार्टी के किसी अन्य नेता ने गौहर के बरअक्स पर्चा भी नहीं भरा था। 45 साल के पाकिस्तान के जाने—माने वकील गौहर को ही आखिरकार तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का अध्यक्ष चुना गया।
आगे का समय गौहर के लिए इम्तिहान का समय है। अदालत के आदेश के तहत पाकिस्तान में फरवरी 2024 में आम चुनाव कराए जाने हैं। इन चुनावों में इमरान के सामने न होने पर, उनकी पार्टी पीटीआई गौहर जैसे राजनीतिक रूप से कम अनुभवी नेता की अगुआई में कैसा प्रदर्शन करेगी, उसे लेकर संशय ज्यादा है, भरोसा कम।
पीटीआई के अध्यक्ष का पद संभालते हुए गौहर खान ने कहा है कि वे तो बस इमरान खान गैर मौजूदगी में यह जिम्मेदारी ले रहे हैं। उनके इस बयान से साफ है कि पार्टी की रणनीति जेल में बैठे इमरान खान ही तैयार करने वाले हैं। लेकिन सलाखों के पीछे से वे मतदाता को कितना रिझा पाएंगे उसे लेकर संशय हद से ज्यादा है।
इसमें भी किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि गौहर इस पद पर लंबे वक्त तक रहने वाले हैं। उन्होंने खुद कहा भी है कि इमरान खान के जेल से बाहर आते ही कमान उनके हाथ सौंप देंगे। यहां बता दें कि इमरान खान गत सितंबर महीने से ही रावलपिंडी की अडियाला जेल में कैद हैं।
वैसे इमरान जेल से सियासी दावपेंच भी खेल रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति काजी फैज ईसा को पत्र लिखकर कहा है कि पीटीआई के कार्यकर्ताओं को बेवजह सताया जा रहा है और इस मामले में अदालत कोई कदम उठाए।
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