राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया को हमें धर्मनिरपेक्षता सिखाने की जरूरत नहीं है। भारत में हमेशा से सेक्युलरिजम रचा बसा है। भारत में हुणों का भी स्वागत हुआ और कुषाणों का भी स्वागत हुआ है। भारत इतना समृद्ध था कि हर किसी का स्वागत करता था। उन्होंने कहा कि भारत को अब विकास के लिए आत्मनिर्भर होकर अपने ही मॉडल पर काम करने की जरूरत है। किसी और देश को देखकर कुछ करने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, सरसंघचालक ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में दो दिवस के लिए पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक सेमिनार को संबोधित किया। सेमिनार ‘स्व आधारित भारत’ शीर्षक पर आयोजित किया गया था। इस दौरान भागवत ने कहा, ‘दुनिया को हमें सेक्युलरिजम की शिक्षा देने की जरूरत नहीं है। आजादी के बाद से ही हमारे संविधान में सेक्युलरिजम है। हमने हमेशा विविधिता का सम्मान किया है और भारत सभी के सुखी होने की कामना करता है। यहां की भूमि इतनी समृद्ध थी कि सबका दिल खोलकर स्वागत किया। जो लोग अध्यात्मिक या फिर लौकिक शरण के लिए आए उनका भी स्वागत किया गया।’
श्री मोहन भागवत ने कहा कि भारत को किसी अन्य देश के मॉडल कॉपी करने की जगह स्व आधारित शक्ति का उपयोग करना चाहिए। हम जब तक अपनी ताकत पर भरोसा नहीं करेंगे, तब तक विश्वगुरु नहीं बन पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म ने हमें अपने पर्यावरण का ध्यान रखना सिखाया है। हमने 10 हजार साल तक खेती की, लेकिन उससे भूमि को नुकसान नहीं होता था। अब हम दूसरे देशों के मॉडल को फॉलो करते हैं और पर्यावरण का नुकसान होता है।
अमेरिका ने उड़ाया था मजाक : भागवत
श्री मोहन भागवत ने बताया कि जब चीन ने हमपर हमला कर दिया तो हमने अमेरिका से मदद मांगी। उस समय अमेरिकियों ने हमारा मजाक बनाया कि चीन हमें पीट रहा है। उसके बाद 2014 के बाद हमने पाकिस्तान में घुसकर उसे मारा। इसका मतलब है कि हमें अपनी शक्ति का अहसास हो गया है। उन्होंने कहा कि अभी भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। जिस तरह से हनुमान जी को जामवंत ने शक्ति की याद दिलाई थी उसी तरह हमें भी अपनी शक्ति को जगाना है।
श्री मोहन भागवत ने कश्मीर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें लंबे समय के बाद न्याय मिला है। कश्मीरी पंडितों को लंबे समय बाद न्याय मिला। हमारा धर्म सिखाता है कि कितना भी अत्याचार हो पर अपना धर्म का रास्ता ना छोड़ो।
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