असम के गुवाहाटी में एक ईसाई पादरी द्वारा वशिष्ठ इलाके में हिन्दू किशोरों को जादुई उपचार के बहाने की ईसाई बनाने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले में सिटी पुलिस ने यूनाइटेड चर्च असेंबली के बेलटोला फेलोशिप के एक पादरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। हालांकि, कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत दे दी है।
क्या है पूरा मामला
रिपोर्ट्स के मुदाबिक, गुवाहाटी के बशिष्ठ पुलिस स्टेशन में बशिष्ठ इलाके में गणेश नगर के रहने वाले सर्बानंद डाकुआ के बेटे नयनज्योति डेकुआ ने शिकायत की है। आरोप है कि पादरी जेरेमिया बसुमतारी ने जादुई इलाज का वादा करके युवाओं को ईसाई कन्वर्जन करा रहा था। आरोपी ने हिन्दू युवकों को जादुई तरीके, दैवीय दंड और पैसे का लालच दे रहा था।
इसे भी पढ़ें: ‘मुझे मिले…ईसाई बन जाओ हर महीने पैसे मिलेंगे’, महिला को लालच देकर बनाया ईसाई, पति ने पादरी पर किया केस
पीड़ित की शिकायत पर जब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया तो वहां से वो छूट गया। इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निशांत गोस्वामी की कोर्ट ने आरोपी पादरी को अंतरिम जमानत दे दिया। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि एफआईआर में पादरी के खिलाफ अपराध का स्थान औऱ समय का उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसे में उसे जमानत दी जाती है। कोर्ट ने कहा, “पादरी ने कुछ लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का भी प्रयास किया। हालाँकि, एफआईआर में ऐसे किसी उदाहरण का विशेष उल्लेख नहीं है, जिसमें पादरी को अपराध में शामिल पाया गया हो।”
सेशन कोर्ट ने कहा, “आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 7 के तहत अधिकतम तीन साल की सजा और ड्रग्स और धारा 7 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जादुई उपचार अधिनियम 1954 जिसमें छह महीने तक की सजा का प्रावधान है।”
इसे भी पढ़ें: झाड़-फूंक के नाम पर हिन्दू महिला का इस्लामिक कन्वर्जन, मौलवी सरफराज गिरफ्तार, परिवार ने सनातन धर्म में की घर वापसी
कोर्ट ने आरोपी पादरी को 30000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इसके साथ ही अदालत आदेश दिया है कि आरोपी को जांच अधिकारी के साथ समन्वय करना होगा कि वह किसी भी जादुई उपचार गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।
टिप्पणियाँ