उत्तर प्रदेश के कतरनिया घाट अभ्यारण्य, दुधवा नेशनल पार्क और पीलीभीति टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण युवक-युवतियों को स्थानीय स्तर पर आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के लिए टूरिस्ट गाइड बनने के लिए सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। इन्हें प्रशिक्षण देकर पर्यटकों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रशिक्षण पर आने वाले व्यय को पर्यटन विभाग वहन करेगा। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यह तैयारी की जा रही है। कतरनिया घाट ईको-पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। वहां साल भर पर्यटक आते रहते हैं। सघन वन में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं पक्षी पाये जाते हैं। सुरम्य एवं मनोरम वातावरण होने के कारण पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल है।
जयवीर सिंह ने बताया कि इसी प्रकार दुधवा नेशनल पार्क और पीलीभीत टाइगर रिजर्व महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, इन्हें भ्रमण कराने की जिम्मेदारी अभ्यारण्य के जिप्सी चालक निभाते हैं। ये अपने अनुभव के आधार पर अभ्यारण्य के बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हैं। पर्यटन विभाग ने ईको-टूरिज्म बोर्ड के माध्यम से प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइड तैयार करने की रणनीति बनायी है। इसके तहत स्थानीय युवकों को प्रशिक्षण देकर गाइड के रूप में तैयार किया जाएगा।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि इन स्थानों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराने तथा सुरक्षित ढंग से अभ्यारण्य घुमाने के लिए इन अभ्यारण्यों के आसपास रहने वाले इण्टरमीडिएट पास युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इन युवकों को हिन्दी के साथ अंग्रेजी का ज्ञान देकर कुशल गाइड बनाया जाएगा। वांछित योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी अपने नजदीकी अभ्यारण्य अथवा गोमतीनगर लखनऊ स्थित पर्यटन विभाग से सम्पर्क कर सकते हैं। इस निर्णय से ईको-टूरिज्म को जहां एक ओर बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को प्रशिक्षित गाइड उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही युवाओं को स्थानीय स्तर पर आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे। इन गाइडों को एक निश्चित धनराशि उपलब्ध होगी। साथ ही पर्यटक सुरक्षित ढंग से इन अभ्यारण्यों का आनंद ले सकेंगे। उत्तर प्रदेश में ईको-पर्यटन की व्यापक संभावनाएं हैं। इसको देखते हुए टूरिस्ट गाइड ट्रेनिंग देने की तैयारी की गई है।
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