देहरादून। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में ढिकाला क्षेत्र में काम करने वाले नेपाली श्रमिक राजू पर हमला करने वाले बाघ को कॉर्बेट प्रशासन ने बेहोशी का इंजेक्शन देकर अपने कब्जे में ले लिया है। बाघ को कुछ दिन रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा।
दो दिन पहले ढिकाला विश्राम गृह के पास झाड़ियां काट रहे राजू पर बाघ ने हमला कर दिया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। हमले के दौरान वन सुरक्षाकर्मियों ने 12 राउंड हवाई फायर भी किए, लेकिन राजू की जान नहीं बची। बाघ जंगल की तरफ चला गया, जिस पर हाथियों के जरिये निगरानी की जाती रही। बीती शाम बाघ को बेहोशी का इंजेक्शन देकर वनकर्मियों ने अपने कब्जे में ले लिया था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ धीरज पांडे के मुताबिक बाघ को रेस्क्यू सेंटर लाया गया है। उन्होंने बताया कि श्रमिक की मौत के बाद ढिकाला जोन को पर्यटकों के लिए बंद किया गया था और बाघ को पकड़ने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डा समीर सिन्हा से अनुमति ली गई थी।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कालागढ़ में बीती 18 अक्टूबर को श्रमिक पवन और 12 नवंबर को शिवम बहादुर की बाघ के हमले में मौत हुई थी। इन तीनों की मौत के पीछे उक्त बाघ के ही हमले की आशंका जताई जा रही है, इसीलिए उसे पकड़ा गया है। 2 नवंबर को रामनगर के फतेहपुर रेंज में और 9 नवंबर को भी बाघ के हमले में दो लोग घायल हुए हैं।
जानकारी के अनुसार पिछले 35 दिनों में बाघ-तेंदुए के हमले से उत्तराखंड में सात लोगों की जान गई है और एक दर्जन लोग घायल हुए हैं। मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष के पीछे एक बड़ा कारण जंगल की तरफ इंसानों का जाना भी है। सर्दियों में लकड़ी उठाने की लालच में मानव का जंगल की तरफ जाना घातक साबित हो रहा है।
मुख्य वन संरक्षक प्रसन्न कुमार पात्रो का कहना है कि सर्दियां बढ़ते ही मानव-वन्यजीव संघर्ष शुरू हो गया है। ये तब होता है जब इंसान जंगल की तरफ या आसपास रुख करता है। खास तौर पर लकड़ी उठानेवाले, चारा पत्ती लाने वालों पर हमले हो रहे हैं। हम बार-बार चेतावनी देते हैं कि इंसान जंगल की तरफ न जाएं, बावजूद इसके लोग जाते हैं और फिर हादसे होते हैं।
बिजनौर-नजीबाबाद के जंगल में भी हमला
जानकारी के मुताबिक कॉर्बेट और राजा जी टाइगर रिजर्व से लगे वेस्ट यूपी के जंगलों में तेंदुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है और ये शिकार की तलाश में आसपास के जंगलों से निकल कर गन्ने के खेतों में छिप रहे हैं। बिजनौर क्षेत्र के एसडीओ ज्ञान सिंह ने बताया कि 400 से अधिक तेंदुए इस वक्त आबादी क्षेत्र में हैं। इनमें से 40 को पिंजरे में पकड़ा भी गया है। पिछले 11 महीने में तेंदुए के हमलों में 17 लोगों की जान गई है। ऐसा बताया गया है कि जहां बाघ होता है वहां से तेंदुआ उसके डर से चला जाता है, टाइगर रिजर्व से लगे तराई भावर के जंगलों में इस वक्त बाघ बढ़ते जा रहे हैं इसलिए तेंदुए अपना क्षेत्र बदल रहे हैं और गन्ने के खेतों में छिप रहे हैं। गांवों के आसपास पालतू पशुओं और बूढ़े-बच्चों पर हमला कर रहे हैं।
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