तेलंगा खड़िया
जन्म : 9 फरवरी, 1806, गुमला (झारखंड)
बलिदान : 23 अप्रैल, 1880
देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले तेलंगा खड़िया बाल्यावस्था से ही अपने साथियों के साथ शस्त्र अभ्यास, कुश्ती आदि किया करते थे।
1831-32 की कोल क्रांति से प्रेरित होकर उन्होंने आम लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार करना शुरू किया।
जैसे ही अंग्रेजों को इसकी जानकारी हुई, उन्होंने इन्हें बंदी बना लिया। बंदी से छूटने के बाद भी वे अपने क्षेत्र के लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध जगाने लगे।
उनके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अंग्रेजों ने उनके ही एक साथी को पैसे देकर उन्हें मारने के लिए कहा।
उसी ने 23 अप्रैल, 1880 को उस समय तेलंगा खड़िया को गोली मार दी, जब वे धरती माता की प्रार्थना कर रहे थे।
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