आध्यात्मिक गुरू और हिन्दू संत स्वामी दीपांकर ने जातियों में बंटे हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए चलाए गए अपने अभियान “भिक्षा यात्रा” का एक साल पूरा कर लिया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उन्हें और कोई भिक्षा नहीं चाहिए। वो चाहते हैं कि लोग अगर कोई भिक्षा देना चाहते हैं तो वे केवल एक हिन्दू होने की भिक्षा दें। ये भिक्षा दें कि वो जाति औऱ मत से ऊपर उठकर एक सनातनी बनें। स्वामी दीपांकर ने बताया कि जब उन्होंने इस यात्रा को शुरू किया था तो वे 19 थे, लेकिन आज उनकी तादात 50 लाख को पार कर गई है।
पांञ्चजन्य से एक्सक्लूसिव बातचीत में स्वामी दीपांकर कहते हैं, “मैं ये समझता हूं कि जातियों में न बंटकर केवल हिन्दू होने के विचार के साथ अभी 50 लाख से अधिक लोग खड़े हैं और ये संख्या अनवरत बढ़ रही है। हजारों लोगों ने स्वत: एफिडेविट दिया है कि वे आजीवन केवल हिन्दू बनकर रहेंगे। न तो धर्मान्तरण करेंगे औऱ न ही करने देंगे। आज ये संख्या 50 लाख है, लेकिन जल्द ही ये करोड़ों में भी होगी।”
हिन्दू संत ने इस यात्रा के दौरान आई मुश्किलों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान दो बार धमकियां और अभद्रता भी की गई। उन्होंने कहा, “शिवरात्रि के मौके पर जब स्वामी दीपांकर लोगों को संबोधित करके स्टेज से उतर रहे थे तो एक व्यक्ति ने उनके साथ बहुत ही ज्यादा अभद्रता भी की। उसके पास से दो नुकाले पत्थर भी जब्त किए गए थे। लेकिन मुझे डरने से डर लगता है। भयभीत करने जैसी कोई चीज जीवन में नहीं है। अपना पिंडदान करके बना हुआ संन्यासी इन चीजों से नहीं डरता। मेरा लक्ष्य केवल एक है कि जातियों में विभक्त हिन्दू एक हों।”
जातिगत जनगणना पर स्वामी दीपांकर का बयान
मुझे जातिगत जनगणना की बात सुनकर दिल पर बड़ा आघात होता है। इस बात का दुख है कि 1932 में जिस हिन्दू के बंटने की खबर मात्र पर महात्मा गांधी यरवदा जेल में अनशन पर बैठ गए थे। राजीव गांधी ने भी जातिविहीन समाज की संकल्पना की थी, लेकिन आज उनके ही बेटे राहुल गांधी कहते हैं कि हम सत्ता में आएंगे तो जातिगत जनगणना कराएंगे। मुझे दुख तब भी होता है कि जब बिहार में जातिगत जनगणना कराई जाती है औऱ इसके नाम पर हिन्दुओं को कुर्मी, यादव, ब्राम्हण में बांट दिया जाता है। क्या कभी इस देश में किसी ने मुस्लिमों में पिछड़ा, अति पिछड़ा करने की कोशिश की।
स्वामी दीपांकर ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सवाल किया कि क्या आज से पहले किसी मंडल, कमंडल आयोग ने ये बताया कि इस देश में कितने शिया औऱ सुन्नी हैं। अगर आप जातिगत जनगणना कल्याण योजनाओं को देखकर बना रहे हैं तो आप ये हालात देखकर बनाइए न कि जाति देखकर। सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहर लाल नेहरू और डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि देश में जाति की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनके ही कथित उत्तराधिकारी जातिगत जनगणना की बातें करते हैं। जातियों में विभक्त समाज भविष्य के लिए विघटनकारी होगा। इसका परिणाम देखने को मिल रहा है। हरियाणा के नूंह में हुआ दंगा इसी का नतीजा था।
इसके साथ ही स्वामी दीपांकर ने डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के हिन्दुओं की तुलना डेंगू से करने वाले बयान पर कहा कि जब भी कोई सनातन के उन्मूलन की बात करेगा तो कोई संन्यासी इसके विरोध में हमेशा उठ खड़ा होगा।
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