देहरादून। उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू की अध्यक्षता में प्रदेश के वन पंचायत में जड़ी-बूटी उत्पादन के संबंध में संबंधित विभागों के साथ बैठक आयोजित की गई, जहां मुख्य सचिव ने प्रदेश में वन पंचायतों एवं वन से लगे क्षेत्रों में जड़ी-बूटी के उत्पादन की दिशा में कार्य शीघ्र शुरू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में वन पंचायतों के माध्यम से जड़ी-बूटी की पैदावार को बढ़ाया जाए, इसके लिए वन पंचायतों को प्रोत्साहित करें। उन्हें आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जाए।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने निर्देश दिए कि इसके लिए शीघ्र ही एक फेडरेशन का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी ऐसी इच्छुक वन पंचायतों को, जो हर्बल अरोमा टूरिज्म पार्क के लिए मानदंडों को पूरा करता है, इसमें शामिल किया जाए। इसके लिए डीएफओ के माध्यम से शीघ्र कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के क्षेत्र विस्तार (बड़ी वन पंचायतें) के बजाय इच्छुक वन पंचायतों को प्राथमिकता दी जाए। इससे सफलता की अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने छोटे और बड़ी मूल्य संवर्धन इकाइयों पर भी फोकस किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि प्रदेश में अधिक से अधिक वैल्यू एडिशन यूनिट तैयार की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि किस विभाग और अधिकारी को क्या करना है, इसकी जानकारी के लिए अगले दो-तीन सप्ताह में वर्कशॉप का आयोजन करें। उन्होंने प्रत्येक स्तर पर जो भी कार्य होने हैं उसके लिए तिथि सहित समय सीमा निर्धारित करने को कहा है। मुख्य सचिव ने कहा कि औषधीय पौधों की नर्सरी भी समय से तैयार हो जाए, इसके लिए भूमि चयन एवं अन्य तैयारियां भी साथ-साथ शुरू की जाएं। उन्होंने कहा कि इसमें जिलाधिकारी एवं डीएफओ को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इसके लिए डीएम, डीएफओ एवं ज़िला उद्यान अधिकारी लगातार बैठकें आयोजित कर योजना को गति देने का कार्य करें।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में 10 हजार से अधिक वन पंचायतों का नेटवर्क है, जिनके अपने वन क्षेत्र हैं जहां अब पेड़ों के साथ- साथ जड़ी-बूटियां उगाने की योजना पर उत्तराखंड सरकार काम कर रही है। उत्तराखंड की हिमालय क्षेत्र की जड़ी-बूटियों के लिए पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ, हिमालय आदि आर्युवेद कंपनियों ने सरकार को अपनी मांग भी दी हुई है। यदि ये योजना परवान चढ़ गई तो इससे उत्तराखंड के गांवों के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
बैठक में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन, सीसीएफ डॉ. पराग मधुकर धकाते, सचिव दीपेन्द्र कुमार चौधरी एवं निदेशक सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट डॉ. निरपेंद्र चौहान सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
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