जैसा माना जा रहा था, वैसा ही हुआ। विशेषज्ञों को इस बात की पूरी संभावना लग रही थी कि भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में सम्पन्न 2—2 मंत्रियों की महत्वपूर्ण वार्ता में सुरक्षा को लेकर कुछ ठोस फैसले लिए जाएंगे। इस बैठक में उसी एजेंडा पर आगे बढ़ने की बात हुई भी। राजधानी दिल्ली में हुई यह द्विपक्षीय वार्ता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों के साथ पूरी हुई।
भारत की राजधानी में कल यानी 10 नवम्बर को भारत के रक्षा और विदेश मंत्रियों ने अमेरिका के अपने समकक्षों के साथ लंबी वार्ता की। इसके बाद अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने जानकारी दी है कि भारत तथा अमेरिका रक्षा उद्योग में सहयोग के अंतर्गत मिलकर लड़ाकू वाहनों का उत्पादन करेंगे। इस संयुक्त बैठक में चीन के उग्र तेवरों को देखते हुए भी कई बातों पर गौर किया गया। चीन भारत की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियां बढ़ाता जा रहा है, साथ ही वह ताइवान को लेकर अमेरिका पर हमलावर रहा है।
अमेरिका के रक्षा मंत्री की यह बात भी गौर करने लायक है कि भारत को अमेरिका से जल्दी ही एमक्यूबी—9बी ड्रोन दिए जाने को लेकर गंभीरता से आगे बढ़ा जा रहा है। इस 2—2 मंत्री वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया है। इसके अनुसार, भारत तथा अमेरिका के सशस्त्र बलों के बीच संपर्क बढ़ाने के नए तरीके तलाशे जा रहे हैं।
लॉयड ऑस्टिन ने आगे कहा कि भारत तथा अमेरिका सप्लाई सेफ्टी सिस्टम को अंतिम शक्ल देने में जुटे हैं। यह आपूर्ति चेन को दमदार करेगी और साथ ही दोनों देशों के प्रतिरक्षा उद्योग को भी मजबूत बनाने में सहायक होगी। अमेरिकी रक्षा मंत्री का कहना है कि दोनों देश युद्धक वाहनों को मिलकर बनाने को लेकर भी तैयार हुए हैं। इसके साथ ही आपूर्ति चेन के माध्यम से भारत और अमेरिका की कंपनियों से सामान तथा सेवाओं को एक साथ लाया जा सकता है।
भारत को अमेरिका से जल्दी ही एमक्यूबी—9बी ड्रोन दिए जाने को लेकर गंभीरता से आगे बढ़ा जा रहा है। इस 2—2 मंत्री वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया है। इसके अनुसार, भारत तथा अमेरिका के सशस्त्र बलों के बीच संपर्क बढ़ाने के नए तरीके तलाशे जा रहे हैं।
वार्ता के लिए नई दिल्ली आए अमेरिकी मंत्रियों में रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन थे तो भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर मौजूद थे।
बैठक में चारों मंत्रियों ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत में जेई एफ-414 जेट इंजन बनाने के लिए जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल के बीच व्यापारिक समझौते के लिए बातचीत शुरू हो चुकी है। भारत चाहता है कि चीन से सटी सीमाओं और हिंद महासागर के इलाके में अपने निगरानी तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए 3 अरब डॉलर से ज्यादा की कीमत वाले अमेरिकी 31 एमक्यूबी लड़ाकू ड्रोन खरीदे जाएं।
अमेरिका के रक्षा मंत्री ने माना कि चीन की ओर से सुरक्षा को लेकर चुनौतियों लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में चर्चा में अनेक संबंधित विषय आए। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सहित विभिन्न मुद्दों पर बैठक के दौरान चर्चा हुई. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका-भारत संबंध केवल चीन की तरफ से आ रहीं चुनौतियों तक सीमित नहीं हैं। दोनों देशों के संबंध तो साझा मूल्यों और हर क्षेत्र में मिलकर आगे बढ़ने के एजेंडे पर टिके हैं। मंत्रियों ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि द्विपक्षीय संबंध तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।
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