उत्तराखंड के उन चुनिंदा शिक्षाविदों में होती है, जिन्होंने सफलता की कहानी अपने दूरगामी सोच और आत्मविश्वास के बलबूते लिखी और आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
डॉ. कमल घनसाला की गिनती उत्तराखंड के उन चुनिंदा शिक्षाविदों में होती है, जिन्होंने सफलता की कहानी अपने दूरगामी सोच और आत्मविश्वास के बलबूते लिखी और आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 15 अप्रैल, 1968 को नैनीताल में जन्मे डॉ. कमल घनसाला ने 1992 में कर्नाटक विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री लेने के बाद 2006 में एमटेक किया। उन्होंने घर में साफ-साफ कह दिया कि वे नौकरी नहीं, अपना व्यवसाय करेंगे। उन्होंने बताया, ‘‘मैं सोचता था कि देहरादून को शिक्षा का केंद्र कहा जाता है, लेकिन यहां कम्प्यूटर शिक्षा ही उपलब्ध नहीं है। मुझ पर देहरादून में कम्प्यूटर पढ़ाने का जुनून सवार था। लेकिन यह सब आसान नहीं था, क्योंकि परिवार में किसी ने कारोबार नहीं किया था।’’ उन्होंने 1993 में पिता से 29,000 रुपये लेकर कम्प्यूटर खरीदा और एक कमरे में ग्राफिक एरा नाम से कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोला। वे ग्राफिक डिजाइनर थे, इसलिए काम भी आने लगा। एनआईटी में जो कम्प्यूटर कोर्स 3,500 रुपये में कराया जाता था, उसे वे मात्र 300 रुपये में कराते थे।
डॉ. घनसाला सामाजिक कार्यों में भी पीछे नहीं रहते। उन्होंने उत्तरकाशी, केदारनाथ, जोशीमठ के आपदा प्रभावित 105 विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई तो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि भी दी है।
वे बताते है, ‘‘1995 से मैंने हार्डवेयर के साथ कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग पढ़ाना शुरू किया, तो कम्प्यूटर सेंटर की लोकप्रियता बढ़ी और मैंने इसे बढ़ाना चाहा। लेकिन किसी बैंक ने ऋण नहीं दिया। बाजार से ब्याज पर ऋण लेना पड़ा। हालांकि बहुत से लोग साझेदार बनना चाहते थे, लेकिन मैंने किसी को साझेदार नहीं बनाया, क्योंकि इससे मेरा लक्ष्य, मेरा विजन बाधित हो जाता। 2001 तक मैंने सरकार से आईटी की मान्यता प्राप्त डिग्री छात्रों को देने का लक्ष्य हासिल कर लिया।’’
इस तरह, स्पष्ट लक्ष्य, कुछ बड़ा करने का जुनून, सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास, कुशल नियोजन, टीम वर्क और अनुशासन की बदौलत 14 अगस्त, 2008 को वे देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की स्थापना करने में सफल रहे। हिमालयी राज्यों में उच्च तकनीकी शिक्षा के अभाव को देखते हुए उन्होंने 2011 में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी की शुरुआत की। देहरादून ग्रामीण और कुमाऊं के भीमताल में कैम्पस खोले तथा हिमालयी राज्यों के बच्चों को शुल्क में छूट दी। 2020 में हल्द्वानी में भी कैंम्पस शुरू किया। 2015 में उन्होंने देहरादून में ग्राफिक एरा ग्लोबल स्कूल स्थापित किया, जिसमें 12वीं तक पढ़ाई होती है।
अब वे देहरादून में 600 बिस्तरों वाला ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज भी बना रहे हैं। इनके शिक्षण संस्थानों में लगभग 25 हजार विद्यार्थी और लगभग 2,000 शिक्षक तो हैं ही, लगभग 50,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिल रहा है। यही नहीं, उनका संस्थान शोधार्थियों के शोध को पेटेंट करवाने वाला उत्तरखंड का पहला निजी शिक्षण संस्थान है। उनके संस्थान की गिनती विश्व के शीर्ष 200 संस्थानों में होती है।
डॉ. घनसाला सामाजिक कार्यों में भी पीछे नहीं रहते। उन्होंने उत्तरकाशी, केदारनाथ, जोशीमठ के आपदा प्रभावित 105 विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई तो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि भी दी है।
टिप्पणियाँ