भारत के पड़ोसी नेपाल में एक बार फिर से भूकंप ने तबाही मचा दी है। भूकंप के कारण अब तक 143 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग मलबे में दबे हुए हैंं। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ने की भी आशंका है। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भूकंप के तगड़े झटकों के कारण इमारतें बर्बाद हो गई हैं।
नेपाल में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.4 आंकी गई है। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप मापन सेंटर ने कहा है कि भूकंप का केंद्र जाजरकोट जिले के लामिडांडा में था। ये रात करीब 11: 32 पर आया। भूकंप के कारण सबसे ज्यादा तबाही जाजरकोट और रुकुम पश्चिम में ही हुई है। जाजरकोट के डीएसपी संतोष रोक्का और रुकुम वेस्ट के डीएसपी नामराज भट्टाराई ने भूकंप से भारी तबाही की पुष्टि की है।
इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्राकृतिक आपदा पर दुख जताते हुए राहत और बचाव कार्यों के लिए 3 एजेंसियों को लगा दिया है।
भारत के कई राज्य भी कांपे
नेपाल में आए भूकंप का असर भारत में भी देखा गया। भूकंप के झटकों के कारण दिल्ली-एनसीआर के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहर तक कांप गए। धरती हिलते देख लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, अच्छी बात ये रही के भारत में किसी भी तरह की कोई अनहोनी नहीं हुई। इन सभी भूकंपों का केंद्र नेपाल के लामिडांडा में ही था।
भूकंप के लिहाज से असुरक्षित है नेपाल
गौरतलब है कि नेपाल में बीते कुछ समय से भूकंपीय घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पिछले महीने की 22 अक्टूबर को भी नेपाल में भूकंप आया था। उस दौरान इसकी तीव्रता 6.1 आंकी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल समेत उत्तर भारतीय क्षेत्रों में भूकंप आने का सबसे बड़ा कारण भारतीय और हिमालयी टेक्टोनिक प्लेट्स में संचलन है। वैज्ञानिक पहले से ये भी बता चुके हैं कि हिमालयी प्लेट यूरेशियन प्लेट को धकेल रही है, जिसके कारण आने वाले वक्त में इस तरह की और भी घटनाएं बढ़ने की आशंका है।
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