आतंकी संगठन हमास के समर्थन में बिहार में अनेक रैलियां हो रही हैं। यह भारत की नीति के विरुद्ध है। इसके बावजूद राज्य सरकार रैली के आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
बिहार में कुछ नेता हमास के आतंकियों के समर्थन में रैली कर रहे हैं, कुछ नेता जुलूस निकाल रहे हैं, तो कुछ लोग सोशल मीडिया पर हमास की लड़ाई लड़ रहे हैं। यानी हमास के आतंक से बिहार का माहौल भी गर्म हो गया है। फिलीस्तीन के बहाने हमास के पक्ष में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। अमौर के विधायक और एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इज्राएल के विरुद्ध एक जनसभा का आयोजन किशनगंज में 31 अक्टूबर को किया। ये वही अख्तरुल हैं, जो बिहार विधानसभा में वंदेमातरम् गाना, तो दूर इसके सम्मान में अपने स्थान पर खड़ा होना भी गलत मानते हैं। जलसे को संबोधित करते हुए उन्होंने पूरे मुस्लिम उम्मत की तुलना एक जिंदा शरीर से की। उनका कहना था कि फिलीस्तीन पर हमला यानी इस्लाम पर हमला है। अपने भाषण में उन्होंने कभी भी हमास की ज्यादतियों का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने यहां के मुसलमानों को जिंदा कौम बनने की सलाह दी और परोक्षतः कहा कि हमास के साथ वे भी खड़े हों।
इसी प्रकार पूर्णिया में 28 अक्तूबर को हिंदुओं के साथ मारपीट की गई, क्योंकि ये लोग हमास के पक्ष में सोशल मीडिया पोस्ट पर आपत्ति कर रहे थे। पूर्णिया का माहौल 2 दिन तक गर्म रहा।
इज्राएल-हमास युद्ध को लेकर विवादित पोस्ट शेयर करने पर 28 अक्तूबर की रात से लेकर 30 अक्तूबर तक में पूर्णिया के चंपानगर में बवाल हुआ। पुलिस ने विवादित पोस्ट करने वाले आरोपी युवक मो. फौजान को गिरफ्तार कर लिया। इसने ही 28 अक्तूबर को प्रीतम कुमार, दिनेश कुमार और दीपक कुमार के साथ मारपीट की थी। फ़ौजान और उसके साथियों के हमले से प्रीतम का सर फट गया था। मारपीट को लेकर चंपानगर थाने में 26 नामजद और 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई।
30 अक्तूबर की सुबह जब लोगों को इस बारे में पता चला तो मामले ने तूल पकड़ लिया। विवादित पोस्ट पर पुलिस की उदासीनता और उसकी कार्यशैली के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। विवादित पोस्ट और मारपीट से आक्रोशित लोगों ने सड़क पर उतरकर और टायर जलाकर करीब छह घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया।
मामले को तूल पकड़ता देख प्रदर्शन स्थल पर जाकर सदर अनुमंडल पदाधिकारी राकेश रमण और सदर डीएसपी पुष्कर कुमार ने आक्रोशित लोगों को भरोसा दिलाया कि 24 घंटे में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जन आक्रोश के कारण प्रशासन को अंततः मो फौजान को गिरफ्तार करना पड़ा।
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