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सशक्त और एकजुट समाज के लिए काम कर रहा संघ

रा.स्व.संघ के 99वें स्थापना दिवस समारोह में सरसंघचालक ने कई मुद्दों पर बात की। साथ ही, उन्होंने लोगों को सतर्क किया कि वे राजनीतिक दलों के बहकावे में न आएं

by विराग पाचपोर
Oct 31, 2023, 12:55 pm IST
in विश्लेषण, संघ, महाराष्ट्र
विजयादशमी उत्सव में श्री दत्तात्रेय होसबाले (बाएं से दूसरे), श्री मोहनराव भागवत, श्री शंकर महादेवन एवं अन्य अतिथि

विजयादशमी उत्सव में श्री दत्तात्रेय होसबाले (बाएं से दूसरे), श्री मोहनराव भागवत, श्री शंकर महादेवन एवं अन्य अतिथि

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99वें स्थापना दिवस समारोह के वार्षिक विजयादशमी उत्सव में अपने उद्बोधन के दौरान सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 99वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर नागपुर के रेशमबाग मैदान में वार्षिक विजयादशमी उत्सव में अपने 55 मिनट के उद्बोधन के दौरान सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। इनमें पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्य मणिपुर में हिंसा और अस्थिरता, सांस्कृतिक मार्क्सवाद, चुनाव और वैश्विक संघर्षों के समय नागरिकों की जिम्मेदारी और वैश्विक संकट के समाधान में भारत की भूमिका जैसे मुद्दे शामिल थे।

सरसंघचालक ने कहा कि संकटग्रस्त विश्व उम्मीद कर रहा है कि भारत विश्व के सामने आने वाली समकालीन जरूरतों और चुनौतियों को पूरा करने के लिए अपनी मूल्य प्रणाली पर आधारित एक नई दृष्टि के साथ उभरेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघ एक मजबूत और एकजुट भारतीय समाज बनाने की दिशा में काम कर रहा है। भारत की पहचान और हिंदू समाज की पहचान को संरक्षित करने की इच्छा स्वाभाविक है। यह भारत की जिम्मेदारी भी है कि वह सभी को सद्भाव के सिद्धांत सिखाए, क्योंकि पूरे विश्व को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

 जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने, लोगों को राहत प्रदान करने और उनकी आहत भावनाओं को शांत करने के लिए काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनकी भूमिका पर गर्व है।’’

-रा.स्व.संघ, सरसंघचालक

जी-20

भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल समापन पर सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत ने कहा, ‘‘भारत के विशिष्ट विचारों और दृष्टिकोण के कारण वसुधैव कुटुंबकम् का हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत अब पूरे विश्व के दर्शन में शामिल हो गया है। भारत के प्रयासों की बदौलत जी-20 का अर्थव्यवस्था केंद्रित विचार अब मानव केंद्रित विचार में बदल गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन कर हमारे नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है।’’

मणिपुर हिंसा

उन्होंने कहा कि मणिपुर की अस्थिर स्थिति के लिए विदेशी शक्तियां जिम्मेदार हैं। मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य है, ‘‘क्षेत्र में इस तरह की आंतरिक कलह और अलगाववाद से किसे फायदा होता है? बाहरी ताकतों को भी फायदा होता है। क्या वहां जो कुछ हुआ, उसमें बाहर के लोग शामिल थे?’’ सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय गृहमंत्री तीन दिन तक वहां रुके थे और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी 15 दिनों तक वहां डेरा डाला था। इसके बावजूद हिंसा जारी रही, जिससे पता चलता है कि यह साजिश रची जा रही थी।

‘‘मैं देखता हूं कि जब भी कोई घटना, कोई संकट या कोई समस्या होती है, तो स्वयंसेवक चुपचाप काम करते हैं। जहां भी संकट आता है, चुपचाप खड़े होकर देश के लिए काम करते हैं। यदि हमारा देश एक गीत है तो ये स्वयंसेवक उसके ‘सरगम’ हैं, जो गीत में जान डाल देते हैं।’’ -शंकर महादेवन

जब वहां शांति की बहाली दिख रही थी, तब कुछ घटना घटी और एक बार फिर हिंसा हुई, जिससे समुदायों के बीच दूरियां बढ़ गईं। हिंसा को कौन भड़का रहा है? यह हो नहीं रहा है, बल्कि कराया जा रहा है। कौन सी विदेशी ताकतें मणिपुर में अशांति और अस्थिरता का फायदा उठाने में रुचि रखती हैं? क्या इन घटनाओं में दक्षिण पूर्व एशिया की भू-राजनीति की भी कोई भूमिका है?

सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों की प्रशंसा की, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने, लोगों को राहत प्रदान करने और उनकी आहत भावनाओं को शांत करने के लिए काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनकी भूमिका पर गर्व है।’’

विधानसभा चुनाव

उन्होंने कहा कि देश पहले ही चुनावी मोड में है। अगले माह 5 राज्यों में विधानसभा का चुनाव हैं। पार्टियां माहौल बिगाड़ने की हद तक जमकर चुनावी प्रचार-प्रसार करने में सक्रिय हैं। पार्टियां भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिश करेंगी। लोग इस भावनात्मक प्रचार से प्रभावित न हों और ‘देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास’ को ध्यान में रखते हुए वोट करें। मतदाताओं से सर्वोत्तम चुनने का आग्रह करते हुए सरसंघचालक ने कहा, ‘‘हमने सभी पार्टियों और सरकारों का परीक्षण किया है। अब लोग उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ में से चुनेंगे और अपना सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुनेंगे। वोट देना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।’’

सांस्कृतिक मार्क्सवाद

उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवाद या वोकिज्म का नया विकास भारत विरोधी ताकतों का नया उपकरण है। देश के अंदर और बाहर कुछ लोग नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े। वे संघर्ष पैदा करने, हमारी एकता को नष्ट करने और वैमनस्य के बीज बोने की कोशिश करते हैं। इन तत्वों का अब नया नाम है, सांस्कृतिक मार्क्सवादी या वोक।

वे दुनिया में सभी प्रकार की व्यवस्था, संस्कृति, गरिमा और संयम के विरोधी हैं। इन सांस्कृतिक मार्क्सवादियों पर अराजकता फैलाने और समाज को विभाजित करने के अपने प्रयास में मीडिया तथा शिक्षा जगत पर नियंत्रण लेने की कार्य प्रणाली का उपयोग करने का आरोप है। हमें उनके मंसूबों को हराना होगा और एकजुट और मजबूत रहना होगा। तीन तत्व- मातृभूमि के प्रति समर्पण, पूर्वजों पर गर्व और समान संस्कृति, भाषा, क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय, जाति और उप-जाति की सभी विविधताओं को एक साथ जोड़कर हमें एक राष्ट्र बनाते हैं।

पद्मश्री शंकर महादेवन का संबोधन

गायक शंकर महादेवन ने अपना संबोधन ‘नमस्कार’ के साथ शुरू किया और उसके बाद अपनी मधुर व मंत्रमुग्ध करने वाली आवाज में सरस्वती वंदना की। शंकर महादेवन ने कहा, ‘‘मेरा आज का अनुभव आश्चर्यचकित कर देने वाला रहा है। हमारी संस्कृति और परंपरा की रक्षा में आप सभी का योगदान अद्वितीय है।’’ संकट के समय में स्वयंसेवकों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने गीत और उसके ‘सरगम’ के साथ एक सादृश्य बनाया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं देखता हूं कि जब भी कोई घटना, कोई संकट या कोई समस्या होती है, तो स्वयंसेवक चुपचाप काम करते हैं। जहां भी संकट आता है, चुपचाप खड़े होकर देश के लिए काम करते हैं। यदि हमारा देश एक गीत है तो ये स्वयंसेवक उसके ‘सरगम’ हैं, जो गीत में जान डाल देते हैं।’’

उन्होंने कहा कि हमारे संगीत के पास सबसे समृद्ध विरासत है, जो कई सदियों तक जाती है। यह वह खजाना है, जो हमारे पास है और दुनिया के किसी अन्य देश के पास नहीं है। शंकर महादेवन ने संघ के ध्येय, उद्देश्य और दृष्टिकोण को सरल, लेकिन सशक्त शब्दों में सूक्ष्मता से समझाते हुए एक कविता प्रस्तुत की –
देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए,
मैं रहूं या ना रहूं,
भारत ये रहना चाहिए,
सिलसिला बाद मेरे यहां चलना चाहिए,
मैं रहूं या ना रहूं,
भारत ये रहना चाहिए।
समारोह के दौरान गणवेश में स्वयंसेवकों ने दो रूट मार्च निकाले, जो अशोक चौक पर समाप्त हुए, जहां सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और मुख्य अतिथि शंकर महादेवन ने रूट मार्च का निरीक्षण किया। इससे पहले, 5000 से अधिक स्वयंसेवकों ने शारीरिक अभ्यास, नियुद्ध, समता, दंड, व्यायाम योग और योग आसन का प्रदर्शन किया। घोष ने भारतीय रागों पर आधारित मधुर धुनें प्रस्तुत कीं, जिसकी मुख्य अतिथि ने भी प्रशंसा की। उन्होंने चंद्रयान का मॉडल प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।

‘‘मेरा आज का अनुभव आश्चर्यचकित कर देने वाला रहा है। हमारी संस्कृति और परंपरा की रक्षा में आप सभी का योगदान अद्वितीय है।’’ -शंकर महादेवन

समारोह में प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, राष्ट्र सेविका समिति प्रमुख संचालिका वंदनीया शांतक्का, प्रमुख कार्यवाहिका सीता अन्नदानम, स्वामिनी ब्रह्मप्रकाशानंद, उद्योगपति सत्यनारायण नुवाल, नितिन खारा, जिला कलक्टर विपिन इटनकर, राजे मुधोजी राजे भोसले और लोकप्रिय टेलीविजन कलाकार प्राजक्ता माली शामिल थे।

Topics: Cultural MarxismintegrityVasudhaiva Kutumbakamidentity and development of the countryunityViolence and instability in the north-eastern border state of Manipurवसुधैव कुटुंबकम्Elections and global conflict.हमें उनकी भूमिका पर गर्व हैदेश की एकताअखंडतापहचान और विकासर्वोत्तर सीमावर्ती राज्य मणिपुर में हिंसा और अस्थिरताचुनाव और वैश्विक संघर्षसांस्कृतिक मार्क्सवादWe are proud of their role
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