उत्तर प्रदेश में माफिया और गैंगस्टरों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है। अपराधियों को छोड़ा नहीं जा रहा है। कपिलदेव सिंह हत्याकांड में यूपी सरकार की कोर्ट में प्रभावी पैरवी से माफिया मुख्तार अंसारी को दस साल की जेल हुई है। एक अन्य गैंगस्टर के मामले में मुख्तार को दस साल की सजा सुनाई जा चुकी है। इससे पहले अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सुनाई जा चुकी है। उसे अब तक कुल छह मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है।
अंतरराज्यीय गिरोह चलाने वाले मुख्तार अंसारी पर कुल 65 मुकदमे दर्ज हैं। मुख्तार के 288 सदस्य व सहयोगियों को चिह्नित करते हुए उनके खिलाफ अब तक 156 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। साथ ही माफिया से संबंधित 175 लाइसेंसी शस्त्र धारकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। इसके अलावा गैंग से संबंधित 5 माफिया एवं सहअपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गये।
माफिया मुख्तार के गैंग से संबंधित 164 अभियुक्तों के खिलाफ गैंगेस्टर अधिनियम तथा 6 अभियुक्तों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्यवाही करते हुए लगभग 605 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति का जब्तीकरण व ध्वस्तीकरण कराया गया है। अभियुक्त के 215 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के अवैध व्यवसाय (ठेका/टेण्डर/फर्म) भी बन्द कराये गये हैं।
स्वर्गीय कृष्णानंद राय के भतीजे आनंद राय का कहना है कि मुख्तार को पिछले एक साल में जितने भी मामलों में सजा सुनाई गई है, इसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। योगी सरकार के कार्यकाल में ऐसे जघन्य अपराधियों का हश्र ऐसे ही होना चाहिए।
मुख्तार को सुनाई गई दस साल की सजा
माफिया मुख्तार अंसारी और उसके एक सहयोगी को गैंगस्टर एक्ट में न्यायालय द्वारा दोषी करा देते हुए बीते दिनों फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसी मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उसके साथी को पांच साल की सजा और दो लाख जुर्माना लगाया है। गुरुवार को गैंगस्टर मामले में आरोपी मुख्तार अंसारी और उसके शार्गिंद सोनू यादव को दोषी करार दिया गया था। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्तार बांदा जेल से न्यायालय में पेश हुआ, जबकि सोनू यादव न्यायालय में मौजूद था।
वर्ष 2009 में करंडा थाना क्षेत्र के सबुआ निवासी कपिलदेव सिंह की हत्या और मुहम्मदाबाद के अमीर हसन की हत्या के प्रयास के मामले को आधार बनाकर मुख्तार अंसारी और सोनू यादव के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत करंडा थाना में मुकदमा दर्ज हुआ था। लंबे समय से इस मामले में सुनवाई चल रही थी। सात अक्टूबर को मुख्तार अंसारी का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए और सोनू यादव का बयान दर्ज हुआ था। इसके बाद बहस के लिए 11 अक्टूबर की तिथि तय की गई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।
17 अक्टूबर को अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव, मुख्तार अंसारी एवं सोनू यादव के अधिवक्ताओं ने अपना-अपना तर्क प्रस्तुत किया था। बहस सुनने के बाद न्यायालय ने फैसले के लिए तिथि नियत की थी। न्यायालय ने 26 अक्टूबर की शाम चार बजे निर्णय सुनाते हुए मुख्तार अंसारी और सोनू यादव को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया। साथ ही सजा की बिंदु पर सुनवाई और सजा निर्धारण के लिए 27 अक्टूबर की तिथि तय की थी।
इसी मामले में मॉनिटरिंग सेल व अभियोजन के प्रभावी पैरवी के फलस्वरुप मुख्तार अंसारी को दस साल की सजा सुनाई गई है। मुख्तार पर 05 लाख का जुर्माना लगाया है। जुर्माना न अदा करनें पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई। दोषी सोनू यादव को पांच वर्ष का कठोर कारावास और दो लाख जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न अदा करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास के दण्ड से दण्डित किया गया।
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