‘डर के आगे जीत’ सत्र के दूसरे वक्ता थे गुजरात के प्रख्यात समाजसेवी दिलीप देशमुख। लीवर प्रत्यारोपण कराने के बाद इन्हें नया जीवन मिला है। अब ये अंगदान के लिए काम कर रहे हैं। प्रस्तुत हैं उनकी आपबीती के संपादित अंश-
बात फरवरी, 2020 की है। मुझे लीवर में समस्या हुई। मैंने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि लीवर के रोगी के लिए ज्यादा पानी पीना भी जहर के समान होता है। पूरे दिन में सभी तरह के तरल पदार्थों को मिलाकर एक लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जो कुछ भी खाता है वह शरीर में पानी में बदल जाता है।
डॉक्टर ने यह भी कहा कि जिनके शरीर में लीवर की समस्या है और वह ज्यादा पानी पीता है, तो उसे हर्निया की भी समस्या हो सकती है। यह सुनकर मैं परेशान हो गया। खैर, मेरी चिकित्सा शुरू हुई। छह घंटे के आपरेशन के दौरान मेरे शरीर से नौ लीटर पानी निकाला गया। कुछ कुछ समय बाद फिर से पानी निकाला गया।
उसके एक सप्ताह के अंदर कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई। पूरा जनजीवन ठप हो गया। मेरे अस्पताल में सभी तरह के आपरेशन रद्द कर दिए गए। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि कल से मैं इस अस्पताल में नहीं आऊंगा और आप भी न आएं, क्योंकि इसे कोविड अस्पताल बना दिया गया है।
लीवर की समस्या हुई तो मैं परेशान हो गया, क्योंकि इस बीमारी में खाने-पीने पर भी कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं। फल भी नहीं खा सकते। पूरे दिन में केवल दो ग्राम नमक और एक बादाम खा सकते हैं। ऐसे में बड़ी कठिनाई हुई।
मैं परेशान हो गया, क्योंकि इस बीमारी में खाने-पीने पर भी कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं। फल भी नहीं खा सकते। पूरे दिन में केवल दो ग्राम नमक और एक बादाम खा सकते हैं। जैसे किडनी के रोगी को डायलिसिस कराना पड़ता है, वैसे ही लीवर के रोगी को हर चौथे दिन एक विशेष चिकित्सा करानी पड़ती है। यह चिकित्सा इतनी महंगी होती है कि हर 10 दिन में 20,000 रु. का खर्चा आता है। 100 एमएल की बोतल चढ़ाने में 10 घंटे का समय लगता है। रोगी का प्रतिदिन एक किलो वजन कम हो जाता है। खैर, किसी तरह समय काटा और 10 जुलाई, 2020 को मेरा लीवर ‘ट्रांसप्लांट’ हो गया।
स्वस्थ होने के बाद मैंने 2-3 लाख किलोमीटर की यात्रा की। इसके बाद हमने अमदाबाद अस्पताल को ध्यान में रखते हुए काम किया। इस अस्पताल में आज तक काफी लोगों ने अंगदान किया है। मैं लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करता हूं। इस साल जिस दिन विश्व अंगदान दिवस मनाया गया उसी दिन गुजरात को इसके लिए पांच पुरस्कार मिले।
इनमें एक पुरस्कार अंगदान चैरिटेबल ट्रस्ट को भी मिला। यह कार्य केवल दो साल में संभव हुआ है। लोगों को अंगदान की प्रेरणा देने के लिए हमारी एक बेवसाइट है, जिसमें 37,000 से अधिक लोगों का विवरण है। हर जरूरतमंद को अंग मिल सके, इसके लिए हमारा काम चल रहा है। किसी को अंग की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए अपनी दिनचर्या ठीक करिए। शरीर का कोई भी अंग खराब न हो, इसकी चिंता कीजिए।
हालांकि, अच्छी सेहत और सावधानी बरतने के बाद भी कुछ लोगों के अंग खराब हो रहे हैं। ऐसे लोगों को नवजीवन देना समाज का दायित्व है। इसलिए जब आवश्यकता हो तो मानव को बचाने के लिए अंगदान करने से भी पीछे न हटें। अंगदान का प्रण लें।
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