पाशविक बर्बरता का सभ्यता से संघर्ष
July 18, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

पाशविक बर्बरता का सभ्यता से संघर्ष

लोकतंत्र सभ्यता का सबसे सजीव परिलक्षण होता है। यही कारण है कि पाशविक बर्बरता का सहज निशाना लोकतांत्रिक देश और सभ्य समाज ही होते हैं।

by हितेश शंकर
Oct 21, 2023, 12:15 pm IST
in विश्व, सम्पादकीय
सभ्यता और पाशविक बर्बरता

सभ्यता और पाशविक बर्बरता

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पीड़ादायक बात यह है कि मानवाधिकार वह कल्पना है जिसमें मानव की पीड़ा का कोई स्थान नहीं होता है, बल्कि दानव के हितों का पोषण करने के लिए मानवाधिकार की कल्पना की जाती है।

मानवाधिकार क्या होते हैं? अगर पिछले काफी समय से चले आ रहे संदर्भ में और दुनिया भर के स्वयंभू मानवाधिकारवादियों की दृष्टि से उनका राजनीतिक और व्यावहारिक अर्थ खोजा जाए, तो ऐसा प्रतीत होता है कि मानवाधिकार कोई स्वच्छंद और हिंस्र-पाशविक कल्पना होते हैं, जो उसके कवि के निजी रोमांटिसिज्म में पाई जाती है। पीड़ादायक बात यह है कि मानवाधिकार वह कल्पना है जिसमें मानव की पीड़ा का कोई स्थान नहीं होता है, बल्कि दानव के हितों का पोषण करने के लिए मानवाधिकार की कल्पना की जाती है।

हमास ने 7 अक्तूबर को इस्राएल पर हमला किया। नागरिकों को बंधक बनाया, महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार किए, जिन्हें पूरी दुनिया ने देखा सिर में गोली मार कर बच्चों की हत्याएं की गई, सैकड़ों लोगों को बंधक बना कर गाजा क्षेत्र ले जाया गया, और न जाने क्या-क्या किया गया। यहां तक मानवाधिकार का कोई सवाल ही नहीं था। जैसे ही इस्राएल की जवाबी कार्रवाई शुरू हुई, मानवाधिकार रूदाली शुरू हो गई। लेकिन शायद शोर में दब गई।

लिहाजा, नए सिरे से मंच सजाया गया। अपना ही रॉकेट अपने ही रुग्ण-घायल लोगों के जमावड़े पर दाग दिया गया। अब फिर बड़े पैमाने पर मानवाधिकारवादी रूदाली शुरू की गई। लेकिन तथ्यों के आलोक में यह दांव भी फुस्स हो गया। स्पष्ट है कि मानवाधिकारवादी रूदाली का एक पूर्वनिर्धारित समय होता है, जो आतंकवादियों और उनके लेफ्ट-लिबरल वकीलों की सुविधा के अनुरूप होता है।

जब आतंकवादियों पर कार्रवाई होगी, तो मानवाधिकारों का मामला बन जाएगा, और जब आतंकवादी निरीह नागरिकों की हत्याएं-बलात्कार और बाकी जघन्यता करेंगे, तो वही रूदाली गिरोह या तो दूसरी ओर देखने लगेगा, या महीन ढंग से काते गए शब्दों से उसके लिए ढाल पेश करने की कोशिश करेगा। यह ढाल शाब्दिक होती है, आभासी होती है। भौतिक ढाल वे मनुष्य होते हैं, जो उनके नियंत्रण में होते हैं। लगता है ऐसे में फिलिस्तीनियों को सावधान रहना होगा, क्योंकि मानवाधिकारवादी रूदाली के तीसरे चरण के लिए फिर मानवों की कुर्बानी की आवश्यकता पड़ सकती है। जाहिर है, यह कुर्बानी के मानव वे फिलिस्तीनी ही हो सकते हैं, जो या तो आतंकवादियों के हथियारों के वश में हैं या आतंकवादियों के दिखाए सपनों के वश में हैं।

इस्राएल के प्रति हमास के व्यवहार को याद करें। पकड़े गए सैनिकों को बारूद में लपेट कर जीवित जला देना, अपने ही हिमायती लोगों को अपने लिए मानव ढाल बनने के लिए मजबूर करना, उन्हें युद्ध क्षेत्र में रोकना, जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान जा सके यह किसी युद्ध की स्थिति नहीं है, यह शिकार करने वाले पशुओं से संघर्ष है। यह सारी मानवता को चुनौती है, उसके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है।

और इनकी शत्रुता किससे हैं? निश्चित रूप से यह सभ्यता और पाशविक बर्बरता का संघर्ष है, जो लगभग डेढ़ हजार वर्ष से चला आ रहा है। सभ्यता नगर निर्माण करती है, पाशविकता उन पर रॉकेट दागती है, आत्मघाती हमले करती है, उन्हें नष्ट करती है। सभ्यता कला और संस्कृति का विकास करती है, पाशविकता उसे मटियामेट करने का प्रयास करती है। सभ्यता ज्ञान और विज्ञान की ओर बढ़ती है, पाशविकता उसे अपना शत्रु और वर्ग शत्रु घोषित कर देती है। सभ्यता संचार माध्यमों का निर्माण करती है, ताकि लोगों तक सूचनाएं पहुंचाई जा सकें, पाशविकता उनका इस्तेमाल झूठ फैलाने के लिए करती है, ताकि लोगों को निशाना बनाया जा सके। सभ्यता मानवीयता को पालती-पोसती है, पाशविकता उन मनुष्यों को मानव दीवार बनाने में इस्तेमाल करती है।

लोकतंत्र सभ्यता का सबसे सजीव परिलक्षण होता है। यही कारण है कि पाशविक बर्बरता का सहज निशाना लोकतांत्रिक देश और सभ्य समाज ही होते हैं। सभ्यता लोकतंत्र को सजाती-संवारती है, पाशविकता उसे शत्रु के किले की तरह ध्वस्त करने का प्रयास करती है। जैसे-अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति के निवास- ‘कैपिटल हिल’– पर हमला करके उस पर कब्जा किया गया। इस बार इस्लामिस्टों ने किया, पिछली बार ब्लैक लाइव्स मैटर के नाम पर अराजकतावादियों ने किया था।

हमारे यहां भी इसी तरह का प्रयास कम से कम दो बार हो चुका है। एक बार पंजाब के राजमार्ग पर, और दूसरी बार लाल किले की प्राचीर पर। विदेशों में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य-दूतावासों पर हमले तो हाल के समय तक जारी रहे हैं। इस्लामिस्टों, अराजकतावादियों और कथित उदारवादियों के घालमेल की सभ्यता और लोकतंत्र के प्रति यह शत्रुता विश्वव्यापी है, हमारे-आपके पड़ोस तक में है या हो सकती है।

फिर एक बार इस्राएल के प्रति हमास के व्यवहार को याद करें। पकड़े गए सैनिकों को बारूद में लपेट कर जीवित जला देना, अपने ही हिमायती लोगों को अपने लिए मानव ढाल बनने के लिए मजबूर करना, उन्हें युद्ध क्षेत्र में रोकना, जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान जा सके यह किसी युद्ध की स्थिति नहीं है, यह शिकार करने वाले पशुओं से संघर्ष है। यह सारी मानवता को चुनौती है, उसके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है।

@hiteshshankar

Topics: Civilization Art and CultureCivilization and Brutal Barbarismसभ्यता कला और संस्कृति‘कैपिटल हिल’सभ्यता और पाशविक बर्बरता
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Kamala Harris

कमला हैरिस ने ‘एलिप्स लॉन’ के मंच से डोनाल्ड ट्रंप को घेरा, क्षुद्र अत्याचारी कहा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रा.स्व.संघ की सतत वृद्धि के पीछे इसके विचार का बल, कार्यक्रमों की प्रभावोत्पादकता और तपोनिष्ठ कार्यकर्ताओं का परिश्रम है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : विचार, कार्यक्रम और कार्यकर्ता-संगम

कृषि : देश की अर्थव्यवस्था में तो समृद्धि के लिए ‘क्रांति’ नहीं, शांति से सोचिए

भारत ने अमेरिका-नाटो की धमकी का दिया करार जबाव, कहा- ‘दोहरा मापदंड नहीं चलेगा’

लखनऊ : 500 से ज्यादा छात्रों वाले विद्यालयों को ‘आदर्श स्कूल’ का दर्जा देगी योगी सरकार, जानिए क्या होगा लाभ..?

कट्टर मजहबी पहचान की तरफ दौड़ लगाता बांग्लादेश : 2047 तक हो जाएगा हिन्दू विहीन ?

नगर विकास विभाग की सख्ती : विजयेन्द्र आनंद की होगी जांच, वाराणसी में अनियमितताओं के गंभीर आरोप

यूपी पुलिस का अपराधियों पर प्रहार : 30,000 से ज्यादा गिरफ्तार, 9,000 घायल

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 : उत्तर प्रदेश ने मारी बाजी, लखनऊ देश में तीसरा सबसे स्वच्छ शहर

उत्तराखंड : सीएम धामी ने कांवड़ियों के पैर धोकर की सेवा, 251 फीट ऊँचे भगवा ध्वज पोल का किया शिलन्यास

Pushkar Singh Dhami in BMS

उत्तराखंड : भ्रष्टाचार पर सीएम धामी का प्रहार, रिश्वत लेने पर चीफ इंजीनियर निलंबित

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies