उत्तराखंड: मुस्लिम गुज्जरों के नेटवर्क से क्यों घबराता है वन विभाग ? कर्मचारियों की मिलीभगत से कर रहे अतिक्रमण
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

उत्तराखंड: मुस्लिम गुज्जरों के नेटवर्क से क्यों घबराता है वन विभाग ? कर्मचारियों की मिलीभगत से कर रहे अतिक्रमण

डीएफओ फील्ड में जाने से कतराते हैं, सीएम ने गृह मंत्री से की है सशस्त्र ट्रेनिंग की मांग

by दिनेश मानसेरा
Oct 19, 2023, 04:29 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
सेटेलाइट से लिया गया चित्र

सेटेलाइट से लिया गया चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देहरादून। पिछले दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  पांच राज्यों की मध्य परिषद की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष वन कर्मियों को सशस्त्र बल के रूप में ट्रेनिंग दिए जाने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री धामी ने यही बात एक बार फिर कार्बेट पेट्रोलिंग दौरे के वक्त कही। दरअसल, उत्तराखंड में सत्तर फीसदी भूभाग में जंगल हैं या वन भूमि है, जहां 2004 में माओवाद पनपा, यहां माओवादी ट्रेनिंग कैंप और हथियार पुलिस ने जब्त किए थे। आरोपियों ने लंबा वक्त जेल में काटा था, इनमें से कुछ जमानत पर रिहा हो गए और आज भी इन पर मुकदमे चल रहे हैं। अब बताया जा रहा है कि जंगल में मुस्लिम गुज्जर एक षड्यंत्र के तहत सरकारी भूमि को कब्जाने में लगे हुए हैं।

हरीश रावत की सरकार में मुस्लिम गुज्जरों को टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर निकाल कर बसाया गया और हर परिवार को एक हेक्टेयर भूमि दी गई। कच्चे मकान बनाने और उनके बच्चो की शिक्षा दीक्षा के लिए व्यवस्था की गई। इसी पुनर्वास योजना का फायदा उठाने के लिए मुस्लिम गुज्जरों ने अपनी बेटी को निकाह के बाद अपने दामाद के साथ यहीं एक नए परिवार के रूप में बसा लिया। यहां एक की बीवी का तलाक फिर दूसरे का निकाह जैसे षड्यंत्र रचे गए और सरकार की पुनर्वास योजना में अपने दावे किए जाने लगे। यानि जो  500 परिवार मुस्लिम गुज्जरों के थे वे अब ढाई हजार तक पहुंच गए।

मुस्लिम गुज्जरों ने जंगल कर्मियों के साथ लोभ-लालच के संबंध बनाए और सरकार की जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यहां मदरसे खुलने लगे, मस्जिदें बनने लगीं और जमीयत के मौलाना यहां दखल देने लगे। कभी जंगल का रखवाला कहे जाने वाले मुस्लिम गुज्जरों की नई पीढ़ी अब अपने  पुश्तैनी काम छोड़ कर जंगल की बहुमूल्य संपदा का दोहन करने लगी। जंगलों में बाघ, हाथियों की हत्या, जड़ी बूटियों का दोहन, अवैध खनन के कार्य, लकड़ी तस्करी में मुस्लिम गुज्जरों की भूमिका संदिग्ध होने लगी।

उत्तराखंड पुलिस और खुफिया विभाग ने इस बारे में जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाई और वहां से आदेश भी मिले कि जंगलों से मुस्लिम गुज्जरों के अवैध कब्जे हटाए जाएं। यह अभियान कुछ दिन चलता है फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है। बताया जाता है कि मुस्लिम गुज्जरों के पीछे वामपंथी लॉबी काम करती है जोकि इनकी जनहित याचिकाएं हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में डालती रहती है। इस वजह से वन विभाग के अधिकारी कानूनी पचड़ों से बचने की कोशिश करते हैं। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर मुस्लिम गुज्जर जंगल की हजारों हेक्टेयर पर अवैध कब्जा कर बैठे हुए हैं।

जंगलों में पहले फॉरेस्ट और पुलिस की संयुक्त गश्त भी हुआ करती थी जोकि 2019 के बाद से बंद पड़ी है। गश्त बंद हो जाने और वन कर्मियों के भ्रष्टाचार के कारण, जंगलों में खैर, सागवान, शीशम, हल्दू साल के पेड़ों की अवैध कटाई और चोरी हो रही है। डीएफओ फील्ड में जाते नहीं, इसलिए जंगल में क्या हो रहा है, उसकी सही तस्वीर सामने नही आ रही है। खुफिया विभाग की टीम ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय और वन विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई है। बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी सोए रहे। अंततः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस विषय पर सख्ती बरतनी पड़ी।

ऐसा भी बताया गया है कि वन विभाग में उच्च अधिकारियों में ऐसी गुटबंदी है कि वे एक-दूसरे को नीचा दिखाने में ही अपना वक्त बिता देते हैं और सीएम ने क्या आदेश दिए उसकी भी परवाह नहीं करते। इस वजह से जंगल अपराधियों का शरणस्थली बनता जा रहा है। कई अधिकारी ऐसे भी सामने आए हैं, जो जंगलों में अवैध कटान में लिप्त पाए गए हैं और उनकी जांच-पड़ताल भी शुरू हो चुकी है।

Topics: UttarakhandForest departmentवन विभागवन गुज्जरउत्तराखंड में कब्जामुस्लिम गुज्जरmuslim gujjarsजंगल में अवैध कब्जा
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

ECI issues notice 6 political parties of UK

उत्तराखण्ड के 6 राजनैतिक दलों को चुनाव आयोग का नोटिस, जानिए कारण

Pushkar Singh Dhami Demography

विकसित भारत @2047 : CM धामी ने पूर्व सैनिकों संग डेमोग्राफी चेंज और धर्मान्तरण पर की चर्चा

CM Dham green signal to the first batch of Kailas mansarovar pulgrims

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर से किया रवाना

Uttarakhand Bipin chandra rawat

देहरादून: सैन्य धाम के निर्माण कार्य का अंतिम चरण, मंत्री गणेश जोशी ने की प्रगति समीक्षा

Nainital High court lift stays from election ban

नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे, नजूल और वन भूमि खुर्दबुर्द मामले में सुनवाई की, अगली तारीख 14 जुलाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला धामी सरकार का बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies