लव जिहाद चल रहा है। इसे एक बार फिर से न्यायालय ने भी प्रमाणित कर दिया है। अभी हाल में रांची स्थित सीबीआई की अदालत ने लव जिहादी रकीबुल हसन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
भारत में इन दिनों लव जिहाद चल रहा है। इसे एक बार फिर से न्यायालय ने भी प्रमाणित कर दिया है। अभी हाल में रांची स्थित सीबीआई की अदालत ने लव जिहादी रकीबुल हसन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि न्यायालय ने अपने निर्णय में कहीं भी लव जिहाद शब्द का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन रकीबुल की जो करतूत की, उसे लोग लव जिहाद ही मानते हैं। इसलिए कह सकते हैं कि एक लव जिहादी को कड़ी सजा मिली है।
शायद देश में पहली बार किसी लव जिहादी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। रकीबुल की हरकत और शैतानी दिमाग को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह सजा भी उसके लिए कम है। रकीबुल को लव जिहादी बनाने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया था। इसमें कई प्रभावशाली मुस्लिम नेता और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। यहां तक कि इस साजिश में रकीबुल की मां कौशर भी शामिल थी। इन लोगों की शह और मदद से ही रकीबुल ने अपने को हिंदू बताया और नाम रखा रंजीत कोहली।
इसी नाम से उसने अपने सारे दस्तावेज भी बनवाए। इसके बाद उसने तारा शाहदेव को अपने प्रेमजाल में फंसाया, फिर उससे शादी की। पर एक दिन बाद ही रकीबुल अपने असली रूप में आया और तारा को मुसलमान बनने के लिए कहने लगा। इस अपराध में रकीबुल का साथ देने वाली उसकी मां कौशर को 10 वर्ष और उच्च न्यायालय के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद को 15 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही तीनों पर 50-50 हजार रु का जुर्माना भी लगाया गया है। जिसे नहीं चुकाने पर जेल की सजा छह महीने बढ़ जाएगी।
अदालत ने पाया कि इन तीनों ने साजिशन तारा को अपने जाल में फंसाया। इसके बाद कन्वर्जन का दबाव डाला। सीबीआई न्यायालय के विशेष न्यायाधीश पी.के. शर्मा ने रकीबुल को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 376, 323, 298, 506 और 496 के तहत दोषी माना है। वहीं कौशर को आईपीसी की धारा 120बी, 298,506 और 323 के तहत दोषी करार दिया। मुश्ताक अहमद को आईपीसी की धारा 120बी और 298 के अंतर्गत दोषी माना।
खबर का असर
पाञ्चजन्य (13 सितंबर, 2020) का आवरण पृष्ठ पाञ्चजन्य में दशकों से लव जिहाद की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। 13 सितंबर, 2020 का अंक तो लव जिहाद पर ही केंद्रित था। पाञ्चजन्य की इन खबरों को सेकुलर मीडिया महत्व नहीं देता था। कई पत्रकार कहते थे कि ये बेकार की खबरें हैं, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। पाञ्चजन्य की खबरों पर मीडिया से लेकर अदालत तक की मुहर लगने लगी है।
रकीबुल के ‘रब’
झारखंड की रहने वाली तारा शाहदेव अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज रही हैं। रकीबुल से उनकी भेंट रांची के होटवार में हुई थी। झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद ने तारा से रकीबुल का परिचय रंजीत कोहली के नाम से कराया था। जब भी रकीबुल तारा से मिलने आता था, तो वह मुश्ताक अहमद की लालबत्ती वाली गाड़ी का प्रयोग करता था। उसके साथ गढ़वा के तत्कालीन एसपी और धनबाद के डीएसपी भी रहा करते थे।
शायद रकीबुल की इसी हनक से तारा उसके जाल में फंस गईं। इसके बाद 7 जुलाई, 2014 को रांची के सबसे बड़े होटल रेडिसन ब्लू में दोनों की शादी हुई। फिर 8 जुलाई, 2014 को अचानक निकाह की तैयारी होने लगी। यह देखकर तारा दंग रह गई। यानी शादी के दूसरे ही दिन उसे पता चल गया कि रंजीत कोहली हिंदू नहीं, बल्कि मुसलमान है। उसने निकाह करने से मना कर दिया, तो उसके साथ मारपीट की गई। इसलिए न चाहते हुए भी तारा को निकाह करना पड़ा। तारा कहती है, ‘‘9 जुलाई, 2014 को रकीबुल ने लगभग 20-25 मुसलमानों को घर पर बुलाया और मुझ पर मुसलमान बनने के लिए दबाव बनाया। मना करने पर मुझे बुरी तरह पीटा गया।’’ यहां तक कि तारा द्वारा सिंदूर लगाने पर भी धमकी दी गई कि ऐसा करने पर उसके हाथ तोड़ दिए जाएंगे। तारा को जबरन इस्लाम की किताबें पढ़ने को कहा गया। तारा के मना करने पर उसे कई बार कुत्ते से कटवाया गया। अंत में तंग आकर तारा ने 19 अगस्त, 2014 को रांची के हिंदपीढ़ी थाने में रकीबुल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
पहली बार किसी लव जिहादी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। रकीबुल की हरकत और शैतानी दिमाग को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह सजा भी उसके लिए कम है। रकीबुल को लव जिहादी बनाने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया था। इसमें कई प्रभावशाली मुस्लिम नेता और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। यहां तक कि इस साजिश में रकीबुल की मां कौशर भी शामिल थी। इन लोगों की शह और मदद से ही रकीबुल ने अपने को हिंदू बताया और नाम रखा रंजीत कोहली।
तारा ने रकीबुल और उसकी मां कौशर पर घरेलू हिंसा, जबरन मुसलमान बनाने, यौन उत्पीड़न और दहेज प्रताड़ना जैसे आरोप लगाए थे। शिकायत में तारा ने अपनी पीड़ा को इन शब्दों में व्यक्त किया था, ‘‘रकीबुल तो जानवर था ही, लेकिन उसका पामेलियन कुत्ता जानवर होते हुए भी संवेदनशील था। मेरी इतनी पिटाई होती थी कि मैं बेसुध हो जाती थी। कोई कथित इंसान मेरी ओर देखता भी नहीं था, लेकिन वह छोटा-सा कुत्ता मुझे देखता रहता था, मानो, यह देख रहा था कि मैं जीवित हूं या मर गई।’’
निमंत्रण पत्र की भूमिका
शिकायत दर्ज होते ही रकीबुल अपनी मां कौशर के साथ रांची से फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश में लगी हुई थी। इसके बाद झारखंड और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम बनाई गई और कड़ी मशक्कत के बाद रकीबुल को गिरफ्तार कर लिया गया 26 अगस्त, 2014 को दिल्ली-गाजियाबाद सीमा से। लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए तारा ने सीबीआई जांच की मांग की। इसके लिए वह झारखंड उच्च न्यायालय पहुंची। तारा के निवेदन पर उच्च न्यायालय ने 2015 में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने को कहा। सीबीआई ने जांच कर 2017 में तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
तारा के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि रकीबुल के सारे कागजात रंजीत कोहली के नाम से थे। इसलिए रंजीत को मुसलमान सिद्ध करना कठिन हो रहा था। इसी बीच एक दिन झारखंड के तत्कालीन मंत्री हाजी हुसैन के घर से इफ्तार पार्टी के लिए एक निमंत्रण पत्र आया। उस पर नाम लिखा था- रकीबुल हसन खान। इस पत्र ने रंजीत को रकीबुल सिद्ध करने में बड़ी भूमिका निभाई।
बता दें कि सीबीआई की ओर से 26 गवाहों को पेश किया गया। इनमें हाजी हुसैन भी एक गवाह थे। अदालत में हाजी हुसैन ने माना कि उन्होंने इफ्तार के लिए जो निमंत्रण पत्र भेजा था, वह सही है और उसके ऊपर लिखा नाम भी सही है। यानी हाजी हुसैन की गवाही से भी यह पता चला कि रंजीत का असली नाम रकीबुल हसन है। सीबीआई के चश्मदीदों की गवाही पूरी होने के बाद अदालत ने रकीबुल हसन को गवाहों की सूची सौंपने का आदेश दिया।
‘‘रकीबुल तो जानवर था ही, लेकिन उसका पामेलियन कुत्ता जानवर होते हुए भी संवेदनशील था। मेरी इतनी पिटाई होती थी कि मैं बेसुध हो जाती थी। कोई कथित इंसान मेरी ओर देखता भी नहीं था, लेकिन वह छोटा-सा कुत्ता मुझे देखता रहता था, मानो, यह देख रहा था कि मैं जीवित हूं या मर गई।’’ – तारा
रकीबुल ने दो गवाहों के नाम न्यायालय को सौंपे थे। इनमें से एक नाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी शामिल था। वे भी हाजी हुसैन की इफ्तार पार्टी के लिए निमंत्रित थे। शायद रकीबुल को लगा होगा कि हेमंत सोरेन की गवाही से वह बच जाएगा। इसलिए उसने गवाहों में हेमंत सोरेन का नाम शामिल कर दिया। हालांकि हेमंत सोरेन गवाही देने नहीं गए।
उन्होंने अपने बदले झारखंड मुक्ति मोर्चा, रांची जिले के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद (ये दूसरे मुश्ताक हैं) को गवाही देने के लिए अधिकृत किया। मुश्ताक अहमद ने अदालत में बताया कि जिस निमंत्रण पत्र की बात की जा रही है, वह सही है, लेकिन रकीबुल कौन है, उसकी जानकारी मुझे नहीं है।
इस मामले में सीबीआई ने बहुत अच्छा कार्य किया। यही कारण है कि एक लव जिहादी को सजा मिली। यदि सीबीआई को यह मामला नहीं मिलता तो शायद रकीबुल को सजा ही नहीं होती, क्योंकि उसके पीछे ‘बड़े’ लोग थे और अभी भी हैं।
न्याय मिलने से तारा शाहदेव बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘‘न्याय मिला। इसके लिए न्यायालय और मीडिया सभी का आभार।’’
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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