देहरादून। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और हजारों पेड़ काटने के आरोपों की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे और इस केंद्रीय जांच एजेंसी ने नई एफआईआर दर्ज की है।
पाखरो फॉरेस्ट रेंज में टाइगर सफारी शुरू करने को लेकर 2019 में कॉर्बेट प्रशासन ने इसे पीएमओ का ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति के बिना काम शुरू करवा दिया। पांच हजार से अधिक हरे पेड़ काट डाले और सीमेंट भवन खड़े कर दिए। जिस पर एनटीसीए ने कड़ी कारवाई करने को कहा था। राज्य सरकार ने विजिलेंस जांच करवाते हुए आधा दर्जन वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इनमें से अब पूर्व डीएफओ किशन चंद जेल में है।
बताया गया है कि इस प्रकरण में आईएएस आनंद वर्धन और पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत भी जांच के घेरे में रहे हैं। इस प्रकरण में सरकार के 215 करोड़ रुपये अवैध तरीके से खर्च किए जाने के आरोप लगाए गए हैं। विजिलेंस जांच में हरक सिंह रावत के संस्थानों में पहले ही छापे डाले जा चुके हैं, जिसमें बड़े जनरेटर जब्त किए गए थे, जोकि सरकारी खरीद का हिस्सा थे और मंत्री के संस्थानों में लगाए हुए मिले थे।
एक जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इस प्रकरण में सरकार की जांच पर सवाल उठाते हुए करीब दो माह पहले इस मामले को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया है। सीबीआई ने विजिलेंस से सभी दस्तावेज हासिल करते हुए फ्रेश एफआईआर दर्ज करते हुए पूर्व डीएफओ किशन चंद और पूर्व रेंजर बिहारी लाल शर्मा के हरिद्वार स्तिथ आवासों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक इस प्रकरण में अगले कुछ दिनों में और भी लोगों को जांच के घेरे में लिया जा सकता है।
सीएम धामी ने कहा कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार की एजेंसियों ने कॉर्बेट प्रकरण पर अपने दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए हैं। केंद्रीय एजेंसियां अपनी जांच कर रही हैं। हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा वो सजा भी भुगतेगा।
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